अभियन्ता अर्थात् इंजीनियर का कार्य बहुत ही अद्भुत है। मानव जीवन को अधिकतम सुख पहुँचाना इन्जीनियर का प्रमुख लक्ष्य होता है, चाहे उसके लिए उन्हें प्रकृति से भी क्यों न लड़ना पड़े। मरुस्थल में सरोवर बनाना, पर्वतों पर भवन निर्माण, सड़क का जाल बिछाना, ग्रीष्म ॠतु की तपती गर्मी को ठण्डी हवा में बदल देना जैसे कार्य इन्हीं की देन हैं। जीवन को अधिक सुविधाजनक इंजीनियरिंग के माध्यम से ही बनाया जाता है। फलित ज्योतिष के अनुसार मंगल, राहु, शनि, पंचम भाव एवं दशम भाव से इंजीनियर बनने के योग का विचार किया जाता है।
सामान्य रूप से निम्नलिखित योग होने पर व्यक्ति अच्छा इंजीनियर बनता है।
जन्म-कुंडली से इंजीनियर बनने के योग
- राहु का पंचम भाव अथवा पंचमेश से दृष्टि-युति सम्बन्ध जातक को पाश्चात्य विधा प्रौद्योगिकी में रुचि देकर तकनीकी योग्यता का विकास करता है।
- ज्योतिष के अनुसार सभी प्रकार की प्रौद्योगिकी मशीनें एवं श्रमिकों का कारक शनि को माना जा सकता है।
- शोध एवं गहन अध्ययन का कारक भी शनि को ही पाया है।
- पंचम या दशम भाव से शनि का सम्बन्ध जातक को मशीन सम्बन्धी कार्यों से आजीविका प्रदान करेगा।
- मंगल का सम्बन्ध अस्त्र-शस्त्र, ताम्र एवं लोह पदार्थ से जोड़ा गया है। आज के युग में बिजली से चलने वाले यन्त्र एवं उपकरण तथा औजारों का कारक मंगल को माना जा सकता है।
- बिजली की मोटर, विद्युत् तार, विद्युत् तापघर एवं विद्युत् वितरण का सम्बन्ध भी मंगल से जोड़ा जाता है।
- मशीनों का प्रारूप तैयार करने के लिए डिजाइन और ड्राइंग रूम बनाने का कार्य शुक्र के कारण होता है।
- मशीन विकसित करने वाले अभियन्ताओं की कुण्डली में पंचम और दशम भाव अथवा भावेश का सम्बन्ध शुक्र से होता है।
- यदि किसी की जन्म-कुण्डली में मंगल और शनि बली होकर शुभ स्थानों में हों अथवा दशम भाव या दशमेश की दृष्टि-युति सम्बन्ध करे, तो जातक इंजीनियर होता है।
विशेष योग
- पंचम भाव अथवा पंचमेश का सम्बन्ध यदि सिंह राशि से हो, तो जातक रचनात्मक कार्यों में रुचि लेता है।
- बली बुध-शुक्र दशम भाव या दशमेश से दृष्टि-युति करे, तो जातक इंजीनियर बनता है।
- सफल इंजीनियर बनने के लिए दशम भाव में चर अथवा द्विस्वभाव राशियों का होना महत्त्वपूर्ण है।
- दशम भाव में भूमि तत्त्व राशि अथवा वायु तत्त्व राशि होने पर जातक तकनीकी ज्ञान में दक्ष होता है।
- पंचम भाव और पंचमेश पर मंगल और शनि की दृष्टि जातक को इंजीनियर बनाने में सहायक होती है।
- दशम भाव में उच्चस्थ मंगल दशमेश शनि (चतुर्थस्थ) से द्रष्ट हो, तो जातक सफल अभियन्ता होता है।
- दशम भाव में बुध, गुरु, शुक्र या शनि का राशि सम्बन्ध होने पर व्यक्ति के इंजीनियर बनने की सम्भावना बढ़ जाती है।
- शनि, मंगल एवं राहु जैसे पापग्रहों की जन्मपत्रिका में स्थिति अनुकूल हो तो जातक इंजीनियरिंग बनता है।
Credit – Anand Jalan
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