इष्ट का अर्थ है प्रिय, इष्ट देव मतलब जो भी देवी या देवता आपको प्रिय है। वैसे तो जिस भी देवी देवता पर आपका अधिक झुकाव है, आप उन्हें इष्टदेव मान कर उनकी भक्ति कर सकते है। फिर भी यहां दो प्रचलित सूत्रो के विषय मे बता रहा हूँ।
जैमिनि ज्योतिष पर आधारित सूत्र:
कारकांश लग्न से द्वादस्थ भाव में स्थित ग्रहों से देवी देवताओं की भक्ति के बारे मे जैमिनि ऋषि ने बताया है। इसे जन्म कुंडली से भी हम देख सकते है। अथवा आत्मकारक ग्रह से बारहवें भाव से भी देख सकते है। इसे आत्मकारक और अमात्यकारक ग्रह से देवी देवताओं की भक्ति के बारे मे समझ सकते है। अब इसके सूत्रों को देखते है।
- रविकेतुभ्यां शिवे भक्तः।
कारकांश लग्न से बारहवें भाव में केतु के साथ सूर्य हो तो शिव भक्त।
- चन्द्रेण गौर्याम।
केतु के साथ चंद्र हो तो गौरी/पार्वतीजी।
- शुक्रेण लक्ष्म्याम्।
शुक्र से लक्ष्मीजी।
- कुजेन स्कन्दे।
मंगल से कार्तिकेय या हनुमानजी।
- बुध शनिभ्यां विष्णौ।
बुध और शनि या इनमें से कोई एक भी हो तो भगवान विष्णु।
- गुरुणा साम्बशिवे।
बृहस्पति हो तो अर्धनारीश्वर।
- राहुणा तामस्यां दुर्गायां च।
राहु हो तो तामसी देवी देवताओं और मा दुर्गा।
- केतुना गणेशे स्कन्दे च।
केतु से श्री गणेश और कार्तिकेय।
- पापर्क्षे मन्दे क्षुद्र देवतासु।
द्वादश भाव में पाप राशि में (मन्दे) शनि स्थित हो तो क्षुद्र देवता जैसे कि यक्षिणी, पिशाचिनी,डाकिनी भैरव आदि की भक्ति या भक्त।
- शुक्रे च।
अगर वहां शुक्र भी पाप राशि मे हो तो उपर वाले सुत्र मे बताया है वही क्षुद्र देवी देवता। शुक्र शुभ राशि मे हो तो देवी लक्ष्मी की भक्ति समझना चाहिये।
- अमात्यदासे चैवम।
अमात्यकारक से या अमात्यकारक जहां स्थित हो वहां से छठे भाव में अगर शनि अथवा शुक्र हो भी क्षुद्र देवी देवताओं के बारे मे विचार करना चाहिए।
12.अमात्यानुचराद् देवताभक्तिः।
अमात्यानुचराद् अर्थात अमात्यकारक से कम अंश वाला जो भ्रातृकारक होता है तो भ्रातृकारक ग्रह से भी जो ग्रह है उसके आधार पर सात्विक, तामसीक या क्षुद्र देवी देवताओं की भक्ति समझनी चाहिए। विशेष बात ये है कि ऋषिवर ने जो भी देवी-देवताओं के बारे मे कहा है उनसे जुड़े हुए जो दुसरे स्वरूप है तो उसे भी समझना चाहिये।
वैदिक ज्योतिष पर आधारित सूत्र:
कुंडली का पंचम भाव इष्ट का भाव माना जाता है। इस भाव में जो राशि होती है उसके ग्रह के देवता ही हमारे इष्ट देव कहलाते हैं।
पंचम भाव स्थित राशि अनुसार जानें अपने इष्ट देव को-
मेष और वृश्चिक- मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी ग्रह मंगल है इसलिए इन दोनों राशि वालों के इष्टदेव हनुमानजी और राम जी हैं।
वृषभ और तुला- वृषभ और तुला राशि का स्वामी शुक्र ग्रह है और इसलिए इनकी इष्ट देवी मां दुर्गा हैं, उन्हें इनकी आराधना करनी चाहिए।
मिथुन और कन्या- मिथुन और कन्या राशि का स्वामी ग्रह बुध है और इसलिए उनके इष्ट देव गणेश जी और विष्णु जी हैं और उन्हें इनकी पूजा करनी चाहिए।
कर्क- कर्क राशि का स्वामी ग्रह चंद्रमा है और इन लोगों के इष्ट देव शिव जी हैं। इनकी पूजा से विशेष फल मिलता है।
सिंह- सिंह राशि वालों का स्वामी ग्रह सूर्य है और उनके इष्ट देव हनुमान जी और मां गायत्री हैं।
धनु और मीन- धनु और मीन राशि वालों के स्वामी ग्रह गुरु हैं और उनके इष्ट देव विष्णु जी और लक्ष्मी जी हैं।
मकर और कुंभ- मकर और कुंभ राशि के स्वामी शनि हैं इसलिए उनके इष्ट देव हनुमान जी और शिव जी हैं। उनकी पूजा से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
ज्योतिष शास्त्र की मानें तो आपके जन्म की तारीख, आपके नाम के पहले अक्षर की राशि या जन्म कुंडली की राशि के आधार पर भी इष्टदेव की पहचान की जा सकती है।
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