कंप्यूटर, मोबाइल और इंटरनेट के इस युग में लोगों के लिए रिश्तों में अकेलापन और तनाव एक आम समस्या बन गई है। जबकि कुछ लोगों के लिए उनके कार्यो में लगातार असफलता उनके लिए मानसिक तनाव का कारण भी होती है। मानसिक तनाव के और भी गहरे रूप में व्यक्ति अपने भविष्य के बारे में बार बार विचार करता है, दुखी होता है, जो कि अवसाद की स्थिती बन जाति है। ज्योतिष उपाय के बारे में हम आगे बात करेंगे
इन सभी पहलु का व्यक्ति के स्वास्थ्य पर खराब प्रभाव पड़ता हैं, जैसे कि किसी सीनियर से मिलने पर घबराहट होना, दिल की धड़कन का बढना, डर लगना, हाथ पैर में कंपन। कुछ लोगों के लिए यह स्थिती कभी-कभी बनती है, जबकि कुछ लोग निरंतर ऐसी स्थिती से प्रभावित होते हैं। इन सब पहलु पर ज्योतिष शास्त्र अनुसार कोन-से ग्रह का प्रभाव होता है और कैसे इस समस्या को ज्योतिष उपायों से दूर किया जा सकता है, इस के बारे में चर्चा करेगे।
ज्योतिष शास्त्र अनुसार घबराहट या मानसिक तनाव, हाथ पैर में कंपन लगनेश, सूर्य या चंद्रमा पर अशुभ ग्रहों के प्रभाव की वजह से होता है। यह स्थिती जन्म लगन कुंडली के इलावा चलित या नवमांश में भी हो सकती है। जन्म कुडंली में लग्नेश, सूर्य या चंद्रमा को शनि, या राहू प्रभावित करें तो मानसिक तनाव होता है ।
शनि चन्द्र – मानसिक रोग
ज्योतिष शास्त्र अनुसार शनि को दुःख का कारक कहा गया है। इस नाते यदि जन्म कुंडली में शनि लग्न भाव पर दृष्टि दे या फिर लग्नेश से शनि की युति हो या लग्नेश पर शनि दृष्टि दे तो जातक को कार्य की असफलता की वजह से मानसिक तनाव होता है ।
इसी तरह जन्म कुंडली में शनि यदि चतुर्थ भाव में वक्री हो या फिर शनि चंद्रमा की युति या शनि की दृष्टि चंद्रमा पर हो, इन सब स्थिती में भी जातक को आसपास के माहोल की वजह से डर और तनाव की स्थिती बनती है ।
इसी तरह यदि जन्म कुंडली में शनि पंचम भाव में हो या फिर सूर्य शनि की युति हो या शनि की दृष्टि सूर्य पर हो, इन सब स्थिती में भी जातक को अपने परिवार या बोस की वजह से मानसिक तनाव होता है।
क्योंकि वृषभ और तुला लगन में शनि योगकारक होता है,
इस वजह से इन लगन वालों के लिए इस स्थिती में कुछ अपवाद हो सकता है,
कि चन्द्र शनि या सूर्य शनि युति उनके लिए खराब फल ना दे रही हो।
ये भी पढ़ें – कुंडली में महाधनी योग जानिए कैसे बनता है ?
शनि चन्द्रमा के ज्योतिष उपाय
अगर शनि की बताई गई उपरोक्त स्थिति की वजह से मानसिक समस्या या घबराहट होती है
तो शनिवार के दिन शनि की शांति के ज्योतिष उपाय करने चाहिए।
ज्योतिष शास्त्र अनुसार शनि की शांति के लिए शनिवार के दिन मज़दूरों को दान पुण्य करना चाहिए,
लोहा, चमड़ा, सरसों का तेल, काले वस्त्र दान करने चाहिए।
शनिवार के दिन पीपल के पेड़ पर जल अर्पित करने से शनि ग्रह की शांति होती है।
और चंद्रमा की मजबूती के लिए पूर्णिमा के दिन चंद्रमा के मंत्र ॐ सोम सोमाय नमः का जप करना चाहिए
पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी विष्णु जी की पूजा करनी चाहिए। घर में गंगाजल पूजा स्थान में रखना चाहिए।
राहु चन्द्र – कार्य असफलता
ज्योतिष शास्त्र अनुसार राहू को संघर्ष का कारक कहा गया है। इस नाते यदि जन्म कुंडली में लगन भाव में राहू हो या फिर लगनेश से राहू की युति तो जातक को कार्य में बाधा की वजह से मानसिक तनाव होता है। इसी तरह जन्म कुंडली में राहू यदि चतुर्थ भाव में हो या फिर राहू चंद्रमा की युति हो, इन सब स्थिती में भी जातक को आसपास के माहोल की वजह से डर और तनाव की स्थिती बनती है। इसी तरह यदि जन्म कुंडली में राहू पंचम भाव में हो या फिर सूर्य राहू की युति हो या राहू की दृष्टि सूर्य पर हो, इन स्थिती में भी जातक को अपने परिवार या बोस की वजह से मानसिक तनाव होता है ।
राहु चन्द्र के ज्योतिष उपाय
अगर राहु की उपरोक्त स्थिति जन्म कुंडली में है
जिसकी वजह से मानसिक समस्या, नौकरी में समस्या हो रही है तो राहु की शांति के उपाय करने चाहिए।
ज्योतिष शास्त्र अनुसार शनिवार या बुधवार के दिन नारियल माता सरस्वती या दुर्गा को भेंट करना चाहिए।
धर्मस्थल में साफ सफाई का सामान दान करना चाहिए।
मंदिर में सफाई सेवा के कार्य करने चाहिए। चींटियों को आटा और चीनी मिला कर देना चाहिए।
चंद्रमा की मजबूती के लिए पूर्णिमा के दिन चंद्रमा के मंत्र ॐ सोम सोमाय नमः का जप करना चाहिए।
पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी विष्णु जी की पूजा करनी चाहिए। घर में गंगाजल पूजा स्थान में रखना चाहिए।
ये भी पढ़ें – जन्म कुंडली के सभी भाव में केतु का फल
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