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साल 2021 में 24 की जगह 25 एकादशी व्रत
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साल 2021 में 24 की जगह 25 एकादशी व्रत 

एकादशी तिथि को बहुत ही शुभ तिथि माना जाता है। दरअसल यह तिथि भगवान विष्णु जी को प्रिय है। इसलिए इस दिन भगवान विष्णु जी की आराधना के लिए एकादशी व्रत रखा जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, प्रति माह में दो बार (शुक्ल और कृष्ण पक्ष) एकादशी तिथि आती है। इस प्रकार 12 महीने में 24 एकादशी तिथियां हुईं। यदि अधिक मास की दो एकादशी तिथियों को जोड़ लिया जाए तो 26 एकादशी तिथियां हुईं।

इस साल बन रहा है ये खास संयोग

एकादशी तिथियों को लेकर साल 2021 में खास संयोग बन रहा है। इस साल एक माह में तीन एकादशी तिथियां पड़ रही हैं। साल के ग्यारहवें माह यानी नवंबर में तीन एकादशी तिथि पड़ रही हैं। इस माह का आरंभ और अंत एकादशी तिथि के साथ हो रहा है। साल 2021 में 1 नवंबर को रमा एकादशी, 14 नवंबर को देवउठनी एकादशी और 30 नवंबर 2021 को उत्पन्ना एकादशी है। वहीं इस साल 24 एकादशी तिथि की बजाय 25 एकादशी तिथियां होंगी।

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साल 2021 में एकादशी व्रत कबकब पड़ेगा

एकादशी  दिन दिनांक
सफला एकादशी शनिवार, 09 जनवरी 2021
पौष पुत्रदा एकादशी रविवार, 24 जनवरी 2021
षटतिला एकादशी रविवार, 07 फरवरी 2021
जया एकादशी मंगलवार, 23 फरवरी 2021
विजया एकादशी मंगलवार, 09 मार्च 2021
आमलकी एकादशी गुरुवार, 25 मार्च 2021
पापमोचिनी एकादशी बुधवार, 07 अप्रैल 2021
कामदा एकादशी शुक्रवार, 23 अप्रैल 2021
वरुथिनी एकादशी शुक्रवार, 07 मई 2021
मोहिनी एकादशी रविवार, 23 मई 2021
अपरा एकादशी रविवार, 06 जून 2021
निर्जला एकादशी सोमवार, 21 जून 2021
योगिनी एकादशी सोमवार, 05 जुलाई 2021
देवशयनी एकादशी मंगलवार, 20 जुलाई 2021
कामिका एकादशी बुधवार, 04 अगस्त 2021
श्रावण पुत्रदा एकादशी बुधवार, 18 अगस्त 2021
अजा एकादशी शुक्रवार, 03 सितंबर 2021
परिवर्तिनी एकादशी शुक्रवार, 17 सितंबर 2021
इन्दिरा एकादशी शनिवार, 02 अक्टूबर 2021
पापांकुशा एकादशी शनिवार, 16 अक्टूबर 2021
रमा एकादशी सोमवार, 01 नवंबर 2021
देवोत्थान एकादशी रविवार, 14 नवंबर 2021
उत्पन्ना एकादशी मंगलवार, 30 नवंबर 2021
मोक्षदा एकादशी मंगलवार, 14 दिसंबर 2021
सफला एकादशी गुरुवार, 30 दिसंबर 2021

एकादशी होता है हरि का दिन

हिन्दू पौराणिक शास्त्रों में एकादशी तिथि को ‘हरि का दिन’ और ‘हरि वासर’ के नाम से भी जाना जाता है। हरि यानी जगत के पालनहार भगवान विष्णु का दिन। ऐसा कहा जाता है कि एकादशी व्रत हवन, यज्ञ, वैदिक कर्म-कांड आदि से भी अधिक फल देता है। इस व्रत को रखने की एक मान्यता यह भी है कि इससे पूर्वज या पितरों को स्वर्ग की प्राप्ति होती है।

एकादशी व्रत नियम

  • एकादशी के दिन सुबह उठकर व्रत का संकल्प कर शुद्ध जल से स्नान करना चाहिए।
  • विधिनुसार भगवान श्रीकृष्ण का पूजन और रात को दीपदान करना चाहिए।
  • एकादशी की रात भगवान विष्णु का भजन-कीर्तन करना चाहिए।
  • व्रत की समाप्ति परश्री हरि विष्णु से अनजाने में हुई भूल या पाप के लिए क्षमा मांगनी चाहिए।
  • अगली सुबह यानी द्वादशी तिथि पर पुनः भगवान श्रीकृष्ण की पूजा कर ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए।
  • भोजन के बाद ब्राह्मण को क्षमता के अनुसार दान देकर विदा करना चाहिए।

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