Subscribe Now

* You will receive the latest news and updates on your favorite celebrities!

Trending News

Blog Post

कहीं आपकी कुंडली में तो नहीं है वैधव्य/विधवा योग
Dosh Nivaran

कहीं आपकी कुंडली में तो नहीं है वैधव्य/विधवा योग 

आज के आधुनिक युग में भी विधवा होना एक अभिशाप है . लोग भौतिक रूप से चाहे जितना भी आधुनिक क्यों ना हो जायें मानसिक विपन्नता अभी तक कम नहीं हुई है . एक विधवा स्त्री को जीवन में सिर्फ अपने जीवन साथी के कमी को ही नहीं झेलना पड़ता बल्कि उसे सामाजिक उपेक्षाओं का भी शिकार होना पड़ता है . आइये देखते हैं कैसे बनता है यह योग . ग्रहों की कौन सी स्थिति ऐसी होती है जो किसी स्त्री को विधवा बना सकती है

ये है शिव जी का सबसे शक्तिशाली और चमत्कारी मंत्र - most powerful mantra of  shivji

विशेष : वैसे इस युति को ही अंतिम परिणाम ना माने क्योंकि वैधव्य योग को पूरी तरह से प्रभावित होने के लिए पति की कुंडली में अल्पायु योग होना भी आवश्यक है और यदि उसकी कुंडली में पूर्ण आयु योग है तो यह निष्प्रभावी भी हो जाता है या दूसरे प्रकार के कष्टों का सामना करना पड़ता है परन्तु यदि वहां भी लग्नेश कमजोर है तो ये योग अत्यंत ही प्रभावी हो जाते हैं .

§ पाप दृष्ट मंगल यदि लग्न या चन्द्रमा से सप्तम भाव में स्थित हो तो वैधव्य योग बनता है.

§ सप्तम भाव में क्रूर ग्रह , शत्रु ग्रहों से दृष्ट हो तो वैधव्य योग बनता है.

§ लग्न से अष्टम भाव में क्रूर ग्रह नीच राशि, शत्रु राशि अथवा पाप ग्रह के वर्ग में हो तो पति की मृत्यु होती है.

§ सप्तमेश और अष्टमेश का सप्तम भाव या अष्टम भाव में , भाव परिवर्तन अथवा पाप ग्रहों से दृष्ट हो तो  विधवा योग बनता है.

§ सप्तम भाव में पाप ग्रह की राशि हो और वहां शनि स्थित हो तो विधवा योग बनता है.

§ लग्न और सप्तम भाव में , राहु केतु 1- 7 स्तिथि हो तथा अष्टम व् द्वादश भाव में क्रूर ग्रह या पाप ग्रह हों व कृष्ण पक्ष का चन्द्रमा छठे या आठवें भाव में होने से भी वैधव्य योग बनता है.

Related posts

Leave a Reply

Required fields are marked *