Subscribe Now

* You will receive the latest news and updates on your favorite celebrities!

Trending News

Blog Post

जन्मकुंडली में बनने वाले ग्रहों के कुछ बुरे योग
जन्मकुंडली में बनने वाले ग्रहों के कुछ बुरे योग
Astrology

जन्मकुंडली में बनने वाले ग्रहों के कुछ बुरे योग 

ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की चाल पर विशेष ध्यान दिया जाता है। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि ग्रहों के राशि परिवर्तन का मानव योग पर विशेष प्रभाव पड़ता है। वास्तव में,   बुरे ग्रहों के योग से  प्रभावित  व्यक्ति की समझदारी असंतुलित हो जाती है। ग्रहों द्वारा बनने वाले कुछ योग निम्न प्रकार हैं

केमद्रुम योग

इस योग का निर्माण चंद्र के कारण होता है। कुंडली में जब चंद्र के आगे और पीछे के भावों में कोई ग्रह न हो तो केमद्रुम योग का निर्माण होता है। जिस कुंडली में यह योग होता है वह जीवनभर धन की कमी से जूझता रहता है। उसके जीवन में पल-प्रतिपल संकट आते रहते हैं, लेकिन व्यक्ति हौसले से उनका सामना करता रहता है।

ग्रहण योग

कुंडली के किसी भी भाव में चंद्र के साथ राहु या केतु बैठे हों तो ग्रहण योग बनता है। यदि इन ग्रह स्थिति में सूर्य भी जुड़ जाए तो व्यक्ति की मानसिक स्थिति अत्यंत खराब रहती है। उसका मस्तिष्क स्थिर नहीं रहता। कार्य में बार-बार बदलाव होता है। बार-बार नौकरी और शहर बदलना पड़ता है। कई बार देखा गया है कि ऐसे व्यक्ति को पागलपन के दौरे तक पड़ सकते हैं। ग्रहण योग का प्रभाव कम करने के लिए सूर्य और चंद्र की आराधना लाभ देती है।

चांडाल योग

कुंडली के किसी भी भाव में बृहस्पति के साथ राहु का उपस्थित होना चांडाल योग का निर्माण करता है। इसे गुरु चांडाल योग भी कहते हैं। इस योग का सर्वाधिक प्रभाव शिक्षा और धन पर होता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में चांडाल योग होता है वह शिक्षा के क्षेत्र में असफल होता है और कर्ज में डूबा रहता है।

कुज योग

मंगल जब लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम या द्वादश भाव में हो तो कुज योग बनता है। इसे मांगलिक दोष भी कहते हैं। जिस स्त्री या पुरुष की कुंडली में कुज दोष हो उनका वैवाहिक जीवन कष्टप्रद रहता है। इसीलिए विवाह से पूर्व भावी वर-वधु की कुंडली मिलाना आवश्यक है। यदि दोनों की कुंडली में मांगलिक दोष है तो ही विवाह किया जाना चाहिए।

मंगल दोष जब जन्मकुंडली में मंगल लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम या द्वादश भाव मे हो तो यह दोष बनता है यह वैवाहिक जीवन के लिए ठीक नही इसलिए इसकी शांति करवा कर ही विवाह करना चाहिए।

षड्यंत्र योग

यदि लग्नेश आठवें घर में बैठा हो और उसके साथ कोई शुभ ग्रह न हो तो षड्यंत्र योग का निर्माण होता है। यह योग अत्यंत खराब माना जाता है। जिस स्त्री-पुरुष की कुंडली में यह योग हो वह अपने किसी करीबी के षड्यंत्र का शिकार होता है। धोखे से उसका धन-संपत्ति छीनी जा सकती है। विपरीत लिंगी व्यक्ति इन्हें किसी मुसीबत में फंसा सकते हैं।

भाव नाश योग

जन्मकुंडली जब किसी भाव का स्वामी त्रिक स्थान यानी छठे, आठवें और 12वें भाव में बैठा हो तो उस भाव के सारे प्रभाव नष्ट हो जाते हैं। उदाहरण के लिए यदि धन स्थान की राशि मेष है और इसका स्वामी मंगल छठे, आठवें या 12वें भाव में हो तो धन स्थान के प्रभाव समाप्त हो जाते हैं।

अल्पायु योग

कुंडली में चंद्र पाप ग्रहों से युक्त होकर त्रिक स्थानों में बैठा हो या लग्नेश पर पाप ग्रहों की दृष्टि हो और वह शक्तिहीन हो तो अल्पायु योग का निर्माण होता है। जिस कुंडली में यह योग होता है उस व्यक्ति के जीवन पर हमेशा संकट मंडराता रहता है। उसकी आयु कम होती है। कुंडली में बने अल्पायु योग की निवृत्ति के लिए महामृत्युंजय मंत्र की एक माला रोज जपें। बुरे कार्यों से दूर रहे।

credit-ज्योतिषाचार्य विक्की विजय तिवारी

Related posts

Leave a Reply

Required fields are marked *