ज्योतिष शास्त्र में केतु को एक छाया ग्रह माना जाता है, जिसका संबंध रहस्यमय और आध्यात्मिक शक्तियों से होता है। यह ग्रह आत्मा, गूढ़ विज्ञान, मोक्ष और सांसारिक भटकाव का प्रतीक है। कुंडली के विभिन्न भावों में केतु की स्थिति व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर गहरा प्रभाव डालती है। यह ग्रह जहाँ एक ओर व्यक्ति को आध्यात्मिक ऊंचाई और गूढ़ ज्ञान की प्राप्ति कराता है, वहीं दूसरी ओर यह मानसिक असंतुलन, भटकाव और कठिनाईयों का कारण भी बन सकता है। केतु के प्रभाव को समझने से हम अपनी जन्म कुंडली में उसकी स्थिति और उसके परिणामों का उचित आकलन कर सकते हैं।
केतु का फल
(प्रथम भाव) जन्म कुंडली
- केतु प्रथम भाव व्यक्ति रोगी चिन्ताग्रस्त, कमजोर भयानक पशुओं से परेशान तथा पीठ के कष्ट का भागी होता है
- अपने द्वारा पैदा की गई समस्याओं से लड़ने वाला लोभी,तथा गलत लोगों का चयन करने के कारण चितित रहता है
- परिवार सुख का अभाव और जीवन साथी की चिन्ता रहती है। उसे गिरने से चोट लगने का भय रहता है
- किन्तु केतु के बली होने अथवा लाभदायक अवस्था में होने पर व्यक्ति जीवन में अच्छी प्रगति करता है
- सभी प्रकार के सुख पाता है। केतु कौन से भाव में शुभ फल देता है?
(द्वितीय भाव)जन्म कुंडली
- केतु द्वितीय भाव में होने पर जातक गले के कष्ट से पीड़ित तथा संसार के विरूद्ध जाने वाला होता है।
- परिवार से सुख में कमी तथा शासन द्वारा दंड का भय रहता है।
- यह सत्य को छिपाने वाला और अपनी बातों से दूसरों को चोट पहुंचाने वाला होता है।
- केतु शुभ राशि में हो या उच्च का होकर किसी शुभ ग्रह से युति में हो तो वह सुख सुविधा पूर्ण जीवन अधिक आय. आज्ञाकारी परिवार तथा हृदय से सन्यासी वृत्ति का होता है।
(तृतीय भाव)जन्म कुंडली
- तृतीय भाव में जातक को बुद्धिमान, धनी तथा विरोधियों का सर्वनाश करने वाला बनाता है।
- यह बलशाली शास्त्रों का ज्ञाता विवाद में रूचि रखने वाला, परोपकारी होता है
- वह खुली वृत्ति वाला प्रसिद्ध भाग्यवान, अपने लोगों से निकटता और स्नेह रखने वाला होता है
- जीवन साथी से सुख तथा तीर्थ यात्राओं का शौकीन होता है बाधित केतु बहरा हृदय रोगी बातूनी दुखी लिप्त तथा अपयश का भागी होता है।
(चतुर्थ भाव)जन्म कुंडली
- चतुर्थ भाव में केतु व्यक्ति को निकट संबंधी से सुख का अभाव देता है।
- माता से सुख में कमी व मित्रों द्वारा अपमानित भी होता है
- वह दूसरों पर विश्वास का सुख नहीं पाता तथा पारिवारिक धन की हानि पाता है।
- केतु बाधित हो तो जीवन में आसानी से स्थिरता नही आती। भाई बहनों के कारण दुख का भागी होता है।
(पंचम भाव) जन्म कुंडली
- पंचम भाव में केतु जातक को कपटी, भयभीत, जल से भय रखने वाला, रोगी निर्धन, निष्पक्ष, उदासीन तथा विभिन्न प्रकार के कष्टों का भागी बनाता है
- ईश्वर से डरने वाला, पुत्र से सुख की कमी वाला तथा शासन से दंड का भय रखने वाला होता है
- कम संतान परन्तु अधिक पुत्रियों वाला हो सकता है अपव्ययी, अकृतज्ञ तथा पेट के रोगों से ग्रस्त हो सकता है।
(षष्ठम् भाव) जन्म कुंडली
- षष्ठम् भाव में केतु जातक को दयावान, स्नेही ज्ञानी तथा लोक प्रसिद्धि पाने वाला होता है।
- वह अच्छे पद, विद्वानों का साथ पसन्द करने वाला शत्रुओं विरोधियों को भयभीत रखने वाला होता है।
- वह रोग मुक्त, पशु प्रेमी लोगों के सम्मान का भागी किन्तु माता के पूर्ण स्नेह में कमी वाला होता है।
(सप्तम् भाव) जन्म कुंडली
- केतु जब सप्तम् भाव में स्थित होता है तो जातक को अस्थिर बुद्धि वाला जीवन साथी से सुख में कमी तथा उसके साथ न चलने वाला बनाता है
- केतु के बाधित होने पर विवाह में देरी गलत कामों में रूचि तथा अतिरिक्त वैवाहिक सम्बन्ध बनाने वाला होता है।
- शुभ केतु सदा चिन्ताग्रस्त परन्तु जीवन में सुख सुविधा से पूर्ण होता है।
(अष्टम भाव) जन्म कुंडली
- अष्टम भाव में केतु जातक चरित्रहीन व्यभिचारी दूसरों की संपत्ति पर दृष्टि रखने वाला तथा लोभी प्रकृति का बनाता है।
- वाहन चलाने से भय रखने वाला होता है उसके स्वभाव का बुरा पक्ष जल्दी सामने आ जाता है।
- वह नेत्र रोग से पीडित होता है लाभकारी केतु उसे अच्छी धन संपदा प्रदान करता है।
- वह विदेश में वास करने वाला तथा व्यापार से अच्छी आय करने वाला होता है।
(नवम् भाव)
- नवम् भाव में केतु जातक को क्रोधी ईर्ष्यालु, तथा धर्म में अस्थिर आस्था रखने वाला बनाता है।
- इस कारण नीच लोगों से मित्रता रखने में भी नहीं हिचकता निकट संबंधियों से सुख प्राप्ति में कमी होती है।
- बाजुओं में कष्ट व पिता से सम्बन्धों में तनाव का भागी होता है बाधित केतु बहुत बुरे परिणाम देता है
- विदेश से अच्छी आय का भी कारक होता है।
(दशम भाव) जन्म कुंडली
- दशम भाव में केतु जातक को बुद्धिमान् साहसी तथा दूसरों से प्रेम रखने वाला बनाता है।
- शुभ केतु पर अयोग्य पात्र को भी आश्रय देने वाला होता है और जीवन में अच्छी संपदा पाता है।
- यह अपने विरोधियों को कष्ट पहुंचाने वाला होता है केतु के बाधित होने पर दुर्भाग्य पीछा नहीं छोडता
- वह दुर्घटनाओं का भागी होता है तथा पिता से अच्छे सम्बन्ध में कमी करता है।
(एकादश भाव)
- केतु के एकादश भाव में होने पर व्यक्ति विजयी कठिन से कठिन समस्याओं का भी सहज ही समाधान कर लेने वाला होता है
- वह दूसरों के प्रति दयालु किन्तु केतु के अशुभ होने पर गुप्त रोग से पीड़ित हो सकता है
- संतान से सुख में कमी तथा जीवन में सहयोगी मित्रों का अभाव होता है।
(द्वादश भाव)
केतु के द्वादश भाव में होने पर व्यक्ति गलत काम में लिप्त निजी सम्पत्ति की हानि करने वाला, चंचल तथा अलाभकारी कार्यों में धन का अपव्यय करने वाला होता है। यह गुप्त रोगों से पीड़ित भी हो सकता है किन्तु केतु के लाभकारी स्थिति में जातक ईमानदार दयावान कृपालु सन्यासी तथा जीवन में धन का सुख भोग करने वाला होता है।
Related posts
2 Comments
Leave a Reply Cancel reply
Subscribe for newsletter
* You will receive the latest news and updates on your favorite celebrities!
Varshik Rashifal 2025: सफलता और शांति के लिए जानें खास उपाय
Varshik Rashifal 2025 ज्योतिष शास्त्र के आधार पर आने वाले वर्ष के लिए सभी राशियों का विश्लेषण करता है। हर…
सरकारी नौकरी का ग्रहों से संबंध तथा पाने का उपाय
सरकारी नौकरी पाने की कोशिश हर कोई करता है, हलांकि सरकारी नौकरी किसी किसी के नसीब में होती है। अगर…
जानिए कैसे ग्रह आपकी समस्याओं से जुड़े हैं
जीवन में छोटी-मोटी परेशानियां हों तो यह सामान्य बात है, लेकिन लगातार परेशानियां बनी रहें या छोटी-छोटी समस्याएं भी बड़ा…
Vish yog का जीवन पर प्रभावVish yog का जीवन पर प्रभाव
वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली में Vish yog और दोष व्यक्ति के जीवन पर सीधा प्रभाव डालते हैं, यदि किसी…
Guru Purnima 2025 Date: शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और खास महत्व
Guru Purnima 2025 हिन्दू धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और श्रद्धा से जुड़ा पर्व है, जो गुरु और शिष्य के…
Hariyali Teej 2025: शुभ मुहूर्त, तिथि, महत्त्व व पूजा की संपूर्ण जानकारी
भारतवर्ष में सावन के महीने का विशेष महत्त्व होता है और इसी माह में मनाया जाने वाला पर्व Hariyali Teej…
Jagannath Puri rath yatra 2025: तिथि, इतिहास, महत्व
पुरी की जगन्नाथ रथ यात्रा (Jagannath Puri rath yatra) भारत के सबसे प्रमुख और भव्य धार्मिक उत्सवों में से एक है।…
Savitri Puja 2025: तिथि, व्रत कथा, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
सावित्री पूजा 2025 (Savitri Puja 2025), जिसे वट सावित्री व्रत भी कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण हिंदू व्रत है जो…
[…] उद्देश्य किसी व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक या आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचाना होता […]
[…] पढ़ें – जन्म कुंडली के सभी भाव में केतु का फल […]