रक्षाबंधन का त्योहार हर साल श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। रक्षाबंधन एक हिंदू त्योहार है जो भाई-बहन के रिश्ते को मनाने के लिए मनाया जाता है। इसके नाम में “रक्षा बंधन” का मतलब होता है “सुरक्षा का बंधन”। यह त्योहार हर साल अगस्त में, श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।
इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर एक सजावटी धागा या राखी बांधती हैं, जो उनकी सुरक्षा और खुशहाली की कामना करती हैं। इसके बदले में भाई उपहार देते हैं और अपनी बहन की सुरक्षा का वचन देते हैं। इस अवसर पर परिवारिक मिलन, भोजन और मिठाइयों का आदान-प्रदान होता है।
रक्षाबंधन केवल जैविक भाई-बहनों के बीच ही नहीं, बल्कि दोस्तों या किसी भी करीबी के बीच भी मनाया जा सकता है जो अपने रिश्ते को एक सुरक्षा और प्यार के प्रतीक के रूप में मानता है। यह त्योहार पारिवारिक बंधनों और आपसी समर्थन की महत्वता को दर्शाता है। इस बार रक्षाबंधन का त्योहार 19 अगस्त मनाया जा रहा है।
2024 के रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त
भद्रा काल-
इस साल भद्रा काल 19 अगस्त को सुबह 9:13 से लेकर 10:39 बजे तक रहेगा। इस समय राखी बांधना वर्जित होता है।
राखी बांधने का शुभ समय–
भद्रा काल समाप्त होने के बाद राखी बांधने का समय शुभ होता है। इस साल रक्षाबंधन के दिन शुभ समय 10:39 बजे के बाद से शुरू होता है और पूरे दिन भर रहेगा।
अभिजीत मुहूर्त-
अभिजीत मुहूर्त 19 अगस्त को सुबह 11:50 से 12:40 बजे तक रहेगा। यह समय भी राखी बांधने के लिए अच्छा माना जाता है। शुभ मुहूर्त के अनुसार राखी बांधने से आपके द्वारा किए गए कार्य और पूजा सफल और मंगलमय मानी जाती है।
सटीक और अधिक जानकारी के लिए स्थानीय पंचांग या ज्योतिषी से परामर्श करना भी अच्छा रहेगा।
रक्षाबंधन का महत्व और इतिहास
महत्व
रक्षाबंधन एक ऐसा पर्व है जो भाई-बहन के रिश्ते को समर्पित होता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं, जो उनके लिए एक रक्षा कवच की तरह होता है। बदले में, भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं और उनकी सुरक्षा की प्रतिज्ञा करते हैं। यह त्योहार भाई-बहन के बीच प्यार, सम्मान, और सहयोग का प्रतीक है और यह रिश्तों को मजबूत करता है। रक्षाबंधन के दिन पारंपरिक रूप से मिठाइयां बांटी जाती हैं और परिवार के सदस्य एक साथ मिलकर इस अवसर को खुशी के साथ मनाते हैं।
इतिहास
रक्षाबंधन की परंपरा भारत के प्राचीन धार्मिक और सांस्कृतिक इतिहास में गहराई से निहित है। इसके पीछे कई प्राचीन कथाएँ और घटनाएँ जुड़ी हैं:
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देवताओं की कथा-
एक लोकप्रिय कथा के अनुसार, जब दैवीय दानवीर बलि ने भगवान विष्णु को अपने राज्य में आमंत्रित किया, तो देवी लक्ष्मी ने भगवान विष्णु की रक्षा के लिए एक राखी बांधी। बलि ने भगवान विष्णु को अपने राज्य में रुकने के लिए कहा था, लेकिन देवी लक्ष्मी ने राखी बांध कर उसकी रक्षा की और भगवान विष्णु को घर लौटने का वचन लिया।
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महाभारत की कथा-
महाभारत में भी रक्षाबंधन की परंपरा का उल्लेख मिलता है। द्रौपदी ने भीम को अपनी कलाई पर राखी बांधी थी और उसकी सहायता की याचना की थी। इसके जवाब में भीम ने अपनी बहन की रक्षा का वचन दिया और युद्ध के समय अपनी पूरी ताकत से उसकी रक्षा की।
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कृष्ण और सुभद्र की कथा-
एक और प्रसिद्ध कथा के अनुसार, जब रुक्मिणी ने भगवान कृष्ण को राखी बांधी, तो कृष्ण ने उसे हर प्रकार की सुरक्षा का वचन दिया। यह कथा भाई-बहन के रिश्ते की महत्वपूर्णता को दर्शाती है।
रक्षाबंधन का त्योहार समय के साथ-साथ न केवल भाई-बहन के रिश्ते बल्कि विभिन्न प्रकार के रिश्तों को भी मनाने का अवसर बन गया है, जिसमें दोस्ती और सामाजिक संबंध भी शामिल हैं। यह पर्व एकता, स्नेह और भाईचारे को बढ़ावा देने का अवसर प्रदान करता है।
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