आज भाड़दौड़ भरे इस दौर में ज्यादातर लोग सफलता पाने के लिए दिन-रात एक करते हैं। क्योंकि हर कोई चाहता है कि उनकी मेहनत रंग लाए, उसका मान-सम्मान हो, उसे धन-धान्य प्राप्त हो, उसकी हर इच्छा पूरी हो, उसकी सुख-सुविधा में कोई कमी न हो, उसे किसी भी चीज की कमी ना हो और उसे अपने दुखों व संघर्षों से निजात मिलते हुए भाग्य का साथ मिले।
हम अपने आस-पास कई तो ऐसे लोगों को भी देखते हैं, जो आजीवन मेहनत करते रहते हैं। परंतु बावजूद इसके उनका जीवन खूब संघर्ष भरा रहता है। वे लोग काफी मेहनत के बाद भी अपनी एक छोटी से छोटी इच्छा को पूरा करने में भी करीब-करीब अमसर्थ रहते हैं। जबकि इसके विपरीत कई ऐसे लोग भी हमारे आसपास होते हैं, जो कम मेहनत के बाद भी अपने जीवन की हर इच्छा को बेहद आसानी से पूरा कर लेते हैं। उन्हें देखकर ऐसा लगता है कि मानों स्वयं ईश्वर उनके साथ है। इन दोनों ही परिस्थितियों में एक चीज़ है, जो इन दोनों ही जातकों के जीवन में सफलता व असफलता सुनिश्चित करती हैं और वो है उनकी जन्म कुंडली में 9 ग्रहों की स्थिति का प्रभाव।
जी हाँ! ज्योतिष विज्ञान के अनुसार हर जातक के जीवन में उसकी सफलता या संघर्षों के पीछे ग्रहों का बहुत बड़ा योगदान होता है। कौन-सा ग्रह कुंडली के किस भाव में मौजूद हैं? वो ग्रह किस भाव व अन्य ग्रह को दृष्टि कर रहा है? इस जानकारी का समावेश ही जातक को शुभ व अशुभ फल देने के पीछे का कारण होता है।
कुंडली का नवम भाव होता है भाग्य का भाव
ज्योतिष विशेषज्ञों की मानें तो वैसे तो जातक को प्राप्त परिणामों में कुंडली के समस्त 12 भावों की अहम भूमिका होती है। परंतु खासकर जन्मकुंडली के नवम भाव से किसी भी जातक के भाग्योदय के बारे में जाना जा सकता है। क्योंकि कुंडली का नवम भाव भाग्य भाव होता है। इसलिए उस भाव में उपस्थित ग्रहों व उस भाव पर पड़ने वाले ग्रहों की दृष्टि के आधार पर ही कोई भी ज्योतिषी किसी भी जातक के भाग्योदय का समय व उसकी अवधि बता सकता है। इस भाव पर कुछ ग्रहों का प्रभाव जहां जातक को छोटी उम्र में ही भाग्य का साथ देने में समर्थ होता है, तो वहीं कुछ ग्रह जातक का 35 वर्ष की आयु के बाद भाग्योदय करते हैं।
नवम भाव से होगा आपका भाग्योदय
ज्योतिष नियमनुसार नवम भाव का स्वामी ग्रह कुंडली के जिस भाव में उपस्थित हो, उसे देखकर भी जातक का भाग्य प्रभावित होता है।
जबकि कुंडली के नवम भाव में उपस्थित ग्रह जातक को धन, सुख व भाग्य प्राप्त होने की समयावधि का आकलन करने में बहुत मददगार सिद्ध होते हैं। उन्हें देखकर ही ये स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि “कब भाग्योदय होगा”।
तो चलिए अब बिना देर किये जानें आखिर किन-किन परिस्थितियों में आपका भाग्योदय निश्चित रूप से होगा।
कब होगा भाग्योदय?
जब किसी कुंडली के नवम यानी भाग्य भाव में गुरु बृहस्पति उपस्थित होते हैं, तो ये स्थिति उस जातक का महज 16 वर्ष की आयु में ही भाग्योदय करती है।
किसी कुंडली के यदि नवम भाव में ग्रहों के राजा सूर्य देव उपस्थित होते हैं, तो उस जातक के जीवन के 22वे वर्ष में भाग्योदय होता है।
कुंडली के नवम भाव में चंद्रमा उपस्थित होने पर, जातक का भाग्योदय 24 वे साल में होता है।
जन्म कुंडली के नवम में शुक्र का बैठे होना, 25 वें साल में जातक का भाग्योदय करता है।
मंगल को देखें तो, कुंडली के नवम भाव में मंगल का विराजमान होना, 28 वे साल में जातक का भाग्योदय होने की प्रबल संभावना बनाता है।
कुंडली के नवम भाव में उपस्थित बुध, जातक का जीवन के 32 वे साल में भाग्योदय करता है।
कर्मफल दाता शनि भी यदि कुंडली के नवम भाव में बैठे हों तो, जातक का 36 की उम्र में भाग्योदय होता है।
जबकि छाया ग्रह राहु-केतु में से कोई भी एक या दोनों का जन्म कुंडली में नवम भाव में होना, 42 साल में भाग्योदय के योग बनाता है।
इन परिस्थितियों में भी होता हैं व्यक्ति का भाग्योदय
किसी कुंडली में कर्मफल दाता शनि या गुरु बृहस्पति वक्री होकर भाग्य यानी नवम भाव में उपस्थित हो तो ये ग्रह अपनी ग्रह दशा के दौरान भाग्योदय करते हुए जातक को सबसे शुभ फल मिलने के योग बनाता है।
यदि किसी कुंडली में ज्यादातर ग्रह कुंडली के तृतीय भाव में या दशम भाव में हो तो, ऐसे लोग बहुत किस्मत वाले माने जाते हैं। क्योंकि ये जातक अपने जीवन में बहुत जल्दी सफलता अर्जित करते हुए भाग्य का साथ प्राप्त करते हैं।
किसी कुंडली में जिस स्थान में शनि उपस्थित हो, यदि उससे अगले भाव में देव गुरु बृहस्पति बैठे हो तो, ये स्थिति जातक को महज 21 से 22 वर्ष की आयु में आत्मनिर्भर बनाते हुए, उसके लिए कमाई के माध्यम खोल देती है।
यदि किसी कुंडली में बृहस्पति मेष राशि में, मंगल अपनी उच्च यानी मकर राशि में और शुभ ग्रह शुक्र धनु राशि में यानी नवम भाव में बैठे हो तो, वो जातक अपने करियर में लगातार ऊंचाइयों को छूता रहता है। ऐसे लोगों को अपने जीवन में कभी भी सुख-सुविधाओं की कमी नहीं होती है।
किसी कुंडली में सूर्य और चंद्रमा कर्क राशि में यानी चतुर्थ भाव में हो, शुक्र वृश्चिक राशि में यानी अष्टम भाव में हो और मंगल कुंभ राशि यानी एकादश भाव में हो तो भले ही कोई भी लग्न हो, परन्तु जातक अपने जीवन में हर दिशा व क्षेत्र में वैभव व सुख-समृद्धि प्राप्त करता है।
अब घर बैठकर करवाएं ग्रहों से संबंधित शांति पूजा और उस ग्रह के दुष्प्रभाव को करें दूर!
भाग्योदय के लिए क्या उपाय करें?
- भाग्योदय को मजबूत करने के लिए सबसे पहले अपनी कुंडली में ये देखे कि कुंडली के नवम भाव में कौन सा ग्रह बैठा है, फिर उस ग्रह की मजबूती के लिए आपको उपाय करने चाहिए। ऐसा करने से आपकी भाग्योदय की बाधा काफी हद तक दूर हो जाएगी।
- अपनी कुंडली में ये देखे कि नवम भाव में बैठे ग्रह शुभ ग्रहों की श्रेणी में आते हैं या अशुभ ग्रहों की। ये पता करने के बाद यदि वो ग्रह शुभ ग्रह हो तो उसे मजबूत करने के उपाय अवश्य करें। परन्तु यदि ग्रह पाप ग्रह की श्रेणी में हो तो उसकी शांति हेतु उपाय करना उचित रहेगा। बता दें कि ज्योतिष नियमनुसार सूर्य, चंद्र, बुध, गुरु, शुक्र ये चार ग्रह शुभ ग्रह होते हैं। जबकि मंगल, शुक्र, शनि, राहु, केतु ये पांच ग्रहों को पाप ग्रह माना गया है।
- अपने भाग्य को चमकाने के लिए प्रतिदिन ठीक सूर्योदय के समय रुद्राक्ष की एक माला लेकर, पूर्व की ओर मुंह करके सूर्य के समक्ष गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए।
- कभी भी अपने बड़ो व माता-पिता का दिल न दुखाएं। बल्कि रोजाना सुबह उठकर माता-पिता, घर के अन्य बड़े-बुजुर्गों व गुरुजनों के चरण स्पर्श करते हुए उनका आशर्वाद लें। ऐसा करने से आपका शीघ्र ही भाग्योदय होगा।
- धार्मिक स्थलों, ज़रूरतमंदों, दिव्यांगजनों, गौशाला, अनाथालय, आदि में श्रद्धानुसार समय-समय पर दान-पुण्य करते रहना भी आपके भाग्य में वृद्धि करेगा।
- भूल से भी सूर्यास्त के बाद किसी से उधार लेने व किसी को उधार देने से परहेज करें। अन्यथा आपका भाग्योदय होने में समय लग सकता है।
Credit-माँ ललिताम्बा ज्योतिष सेवा केंद्र
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