शनि साढ़ेसाती क्या वास्तव में होती है, या ज्योतिषियों द्वारा बनाया गया एक हौआ ?
साढ़ेसाती, ढैय्या एवं शनि दशा के प्रभाव कब कष्टदायी होती है साढ़ेसाती
क्या राजयोग भी देती हैं साढ़े साती
वास्तविकता, या भ्रम ?
आज से 50-60 वर्ष पहले तक, शनि के बारे में लोग इतने भयभीत नहीं थे. पुराने शास्त्रों में भी इसका बहुत कम उल्लेख है. पर इन वर्षों में जगह- 2 शनि महाराज के मंदिर खुल गए हैं और इन मंदिरों में भीड़ भी बढ़ गई है. इस का एक प्रमुख कारण कुछ ज्योतिषियों द्वारा किया गया भ्रामक प्रचार है, जो उपायों, या कुछ यन्त्रों को बेचने के उद्देश्य से किया जाता है. आजकल सरसों/तिल आदि तेल भी बहुत महँगे हैं और उडद की (काली) दाल के दाम तो मोदी जी की सर्कार को बदनाम कर रहे हैं. ऐसे में जगह-२ शनि देव महाराज की मूर्तियां रख कर तेल और उडद बेच कर भी खूब कमाई कई लोग करते हैं.
पर इसका अर्थ यह भी नहीं, कि साढ़ेसाती और ढैय्या होती ही नहीं, जैसे कि कई अन्य ज्योतिषी कहते हैं. दोनों ही वास्तविकता से दूर है – इसके प्रभाव को हौआ बताने वाले और इसके अस्तित्व को नकारने वाले !
शनि का प्रभाव जैमिनी ऋषि के अनुसार कलियुग में शनि का सबसे ज्यादा प्रभाव है। शनि ग्रह स्थिरता का प्रतीक है। कार्यकुशलता, गंभीर विचार, ध्यान और विमर्श शनि के प्रभाव में आते हैं। यह शांत, सहनशील, स्थिर और दृढ़ प्रवृत्ति का होता है। उल्लास, आनंद, प्रसन्नता में गुण स्वभाव में नहीं है। शनि को यम भी कहते हैं। शनि की वस्तुएं नीलम, कोयला, लोहा, काली दालें, सरसों का तेल, नीला कप़डा, चम़डा आदि है। यह कहा जा सकता है कि चन्द्र मन का कारक है तथा शनि बल या दबाव डालता है।
मेष राशि जहां नीच राशि है, वहीं शत्रु राशि भी और तुला जहां मित्र राशि है वहीं उच्च राशि भी है। शनि वात रोग, मृत्यु, चोर-डकैती मामला, मुकद्दमा, फांसी, जेल, तस्करी, जुआ, जासूसी, शत्रुता, लाभ-हानि, दिवालिया, राजदंड, त्याग पत्र, राज्य भंग, राज्य लाभ या व्यापार-व्यवसाय का कारक माना जाता है।
शनि की दृष्टि शनि जिस राशि में स्थित होता है उससे तृतीय, सप्तम और दशम राशि पर पूर्ण दृष्टि रखता है। ऐसा भी माना जाता है, कि शनि जहाँ बैठता है, वहां तो हानि नहीं करता, पर जहाँ-२ उसकी दृष्टि पड़ती है, वहां बहुत हानि होती है (हालाँकि वास्तविकता में यह भी देखना पड़ता है, कि बैठने/दृष्टि का घर शनि के मित्र ग्रह का है, या शत्रु ग्रह, आदि)
साढ़ेसाती और ढैय्या कब और इनका जीवन पर प्रभाव प्रभाव ?
विश्व के 25 प्रतिशत व्यक्ति शनि की साढ़ेसाती और 16.66 प्रतिशत व्यक्ति इसकी ढैया के प्रभाव में सदैव रहते हैं। तो क्या 41.66 प्रतिशत व्यक्ति हमेशा शनि की साढ़ेसाती या ढैया के प्रभाव से ग्रस्त रहते हैं ?
क्या उन लोगों पर जो न शनि की साढ़ेसाती और न ही उनकी ढैया के प्रभाव में होते हैं कोई विशेष संकट नहीं आते ?
शनि की साढ़ेसाती तब शुरू होती है जब शनि गोचर में जन्म राशि से 12वें घर में भ्रमण करने लगता है, और तब तक रहती है जब वह जन्म राशि से द्वितीय भाव में स्थित रहता है। वास्तव में शनि जन्म राशि से 45 अंश से 45 अंश बाद तक जब भ्रमण करता है तब उसकी साढ़ेसाती होती है।
इसी प्रकार चंद्र राशि से चतुर्थ या अष्टम भाव में शनि के जाने पर ढैया आरंभ होती है। सूक्ष्म नियम के अनुसार जन्म राशि से चतुर्थ भाव के आरंभ से पंचम भाव की संधि तक और अष्टम भाव के आरंभ से नवम भाव की संधि तक शनि की ढैया होनी चाहिए।
नोट : साढ़ेसाती और ढैय्या हमेशा राशि – यानि कि जिस राशि में जन्म कुण्डली में चन्द्रमा स्थित होता है, उस से देखी जाती हैं.
भ्रम शनि की साढ़े साती की शुरूआत को लेकर जहां कई तरह की विचारधाराएं मिलती हैं वहीं इसके प्रभाव को लेकर भी हमारे मन में भ्रम और कपोल कल्पित विचारों का ताना बाना बुना रहता है। जन-मानस में इसके बारे में बहुत सारे भ्रम भी व्याप्त हैं। यह किसी भी प्राणी को अकारण दंडित नहीं करता है। लोग यह सोच कर ही घबरा जाते हैं कि शनि की साढ़े साती शुरू हो गयी तो कष्ट और परेशानियों की शुरूआत होने वाली है। ज्योतिषशास्त्री कहते हैं जो लोग ऐसा सोचते हैं वे अकारण ही भयभीत होते हैंवास्तव में अलग अलग राशियों के व्यक्तियों पर शनि का प्रभाव अलग अलग होता है।
लक्षण और उपाय
लक्षण जिस प्रकार हर पीला दिखने वाला धातु सोना नहीं होता उस प्रकार जीवन में आने वाले सभी कष्ट का कारण शनि नहीं होता। आपके जीवन में सफलता और खुशियों में बाधा आ रही है तो इसका कारण अन्य ग्रहों का कमज़ोर या नीच स्थिति में होना भी हो सकता है। आप अकारण ही शनिदेव को दोष न दें फिर शनि के प्रभाव में कमी लाने हेतु आवश्यक उपाय करें।
ज्योतिषशास्त्र में बताया गया है कि शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या आने के कुछ लक्षण हैं जिनसे आप खुद जान सकते हैं कि आपके लिए शनि शुभ हैं या प्रतिकूल। जैसे घर, दीवार का कोई भाग अचानक गिर जाता है। घर के निर्माण या मरम्मत में व्यक्ति को काफी धन खर्च करना पड़ता है। घर के अधिकांश सदस्य बीमार रहते हैं, घर में अचानक अग लग जाती है, आपको बार-बार अपमानित होना पड़ता है। घर की महिलाएं अक्सर बीमार रहती हैं, एक परेशानी से आप जैसे ही निकलते हैं दूसरी परेशानी सिर उठाए खड़ी रहती है। व्यापार एवं व्यवसाय में असफलता और नुकसान होता है। घर में मांसाहार एवं मादक पदार्थों के प्रति लोगों का रूझान काफी बढ़ जाता है। घर में आये दिन कलह होने लगता है। अकारण ही आपके ऊपर कलंक या इल्ज़ाम लगता है। आंख व कान में तकलीफ महसूस होती है एवं आपके घर से चप्पल जूते गायब होने लगते हैं, या जल्दी-जल्दी टूटने लगते हैं। इसके अलावा अकारण ही लंबी दूरी की यात्राएं करनी पड़ती है।
नौकरी एवं व्यवसाय में परेशानी आने लगती है। मेहनत करने पर भी व्यक्ति को पदोन्नति नहीं मिल पाती है। अधिकारियों से संबंध बिगड़ने लगते हैं और नौकरी छूट जाती है। व्यक्ति को अनचाही जगह पर तबादला मिलता है। व्यक्ति को अपने पद से नीचे के पद पर जाकर काम करना पड़ता है। आर्थिक परेशानी बढ़ जाती है। व्यापार करने वाले को घाटा उठाना पड़ता है। आजीविका में परेशानी आने के कारण व्यक्ति मानसिक तौर पर उलझन में रहता है। इसका स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। व्यक्ति को जमीन एवं मकान से जुड़े विवादों का सामना करना पड़ता है।
सगे-संबंधियों एवं रिश्तेदारों में किसी पैतृक संपत्ति को लेकर आपसी मनमुटाव और मतभेद बढ़ जाता है। शनि महाराज भाइयों के बीच दूरियां भी बढ़ा देते हैं। शनि का प्रकोप जब किसी व्यक्ति पर होने वाला होता है तो कई प्रकार के संकेत शनि देते हैं। इनमें एक संकेत है व्यक्ति का अचानक झूठ बोलना बढ़ जाना।
उपाय शनिदेव भगवान शंकर के भक्त हैं, भगवान शंकर की जिनके ऊपर कृपा होती है उन्हें शनि हानि नहीं पहुंचाते अत: नियमित रूप से शिवलिंग की पूजा व अराधना करनी चाहिए। पीपल में सभी देवताओं का निवास कहा गया है इस हेतु पीपल को आर्घ देने अर्थात जल देने से शनि देव प्रसन्न होते हैं। अनुराधा नक्षत्र में जिस दिन अमावस्या हो और शनिवार का दिन हो उस दिन आप तेल, तिल सहित विधि पूर्वक पीपल वृक्ष की पूजा करें तो शनि के कोप से आपको मुक्ति मिलती है। शनिदेव की प्रसन्नता हेतु शनि स्तोत्र का नियमित पाठ करना चाहिए।
शनि के कोप से बचने हेतु आप हनुमान जी की आराधाना कर सकते हैं, क्योंकि शास्त्रों में हनुमान जी को रूद्रावतार कहा गया है। आप साढ़े साते से मुक्ति हेतु शनिवार को बंदरों को केला व चना खिला सकते हैं। नाव के तले में लगी कील और काले घोड़े का नाल भी शनि की साढ़े साती के कुप्रभाव से आपको बचा सकता है अगर आप इनकी अंगूठी बनवाकर धारण करते हैं। लोहे से बने बर्तन, काला कपड़ा, सरसों का तेल, चमड़े के जूते, काला सुरमा, काले चने, काले तिल, उड़द की साबूत दाल ये तमाम चीज़ें शनि ग्रह से सम्बन्धित वस्तुएं हैं, शनिवार के दिन इन वस्तुओं का दान करने से एवं काले वस्त्र एवं काली वस्तुओं का उपयोग करने से शनि की प्रसन्नता प्राप्त होती है।
साढ़े साती के कष्टकारी प्रभाव से बचने हेतु आप चाहें तो इन उपायों से भी लाभ ले सकते हैं ।
शनिवार के दिन शनि देव के नाम पर व्रत रख सकते हैं।
नारियल अथवा बादाम शनिवार के दिन सर से 11 बार उत्तर कर जल में प्रवाहित कर सकते हैं।
नियमित 108 बार शनि की तात्रिक मंत्र का जाप कर सकते हैं स्वयं शनि देव इस स्तोत्र को महिमा मंडित करते हैं।
महामृत्युंजय मंत्र काल का अंत करने वाला है आप शनि की दशा से बचने हेतु किसी योग्य पंडित से महामृत्युंजय मंत्र द्वारा शिव का अभिषेक कराएं तो शनि के फंदे से आप मुक्त हो जाएंगे।
किसी शनिवार की शाम जूते का दान करें।
साढ़े साती शुभ
शनि की ढईया और साढ़े साती का नाम सुनकर बड़े बड़े पराक्रमी और धनवानों के चेहरे की रंगत उड़ जाती है। लोगों के मन में बैठे शनि देव के भय का कई ठग ज्योतिषी नाज़ायज लाभ उठाते हैं। विद्वान ज्योतिषशास्त्रियों की मानें तो शनि सभी व्यक्ति के लिए कष्टकारी नहीं होते हैं। शनि की दशा के दौरान बहुत से लोगों को अपेक्षा से बढ़कर लाभ-सम्मान व वैभव की प्राप्ति होती है। कुछ लोगों को शनि की इस दशा के दौरान काफी परेशानी एवं कष्ट का सामना करनाहोता है। देखा जाय तो शनि केवल कष्ट ही नहीं देते बल्कि शुभ और लाभ भीप्रदान करते हैं। हम विषय की गहराई में जाकर देखें तो शनि का प्रभाव सभी व्यक्ति परउनकी राशि कुण्डली में वर्तमान विभिन्न तत्वों व कर्म पर निर्भर करता है. अत: शनि के प्रभाव को लेकर आपको भयग्रस्त होने की जरूरत नहीं है। आइये हम देखे कि शनि किसी के लिए कष्टकर और किसी के लिए सुखकारी तो किसी को मिश्रित फल देने वाला कैसे होता है।
शनि की स्थिति का आंकलन भी जरूरी होता है। अगर आपका लग्न वृष,मिथुन, कन्या, तुला, मकर अथवा कुम्भ है, तो शनि आपको नुकसान नहीं पहुंचाते हैं बल्कि आपको उनसे लाभ व सहयोग मिलता है. उपरोक्त लग्न वालों केअलावा जो भी लग्न हैं उनमें जन्म लेने वाले व्यक्ति को शनि के कुप्रभाव कासामना करना पड़ता है। ज्योतिर्विद बताते हैं कि साढ़े साती का वास्तविकप्रभाव जानने के लिए चन्द्र राशि के अनुसार शनि की स्थिति ज्ञात करने केसाथ लग्न कुण्डली में चन्द्र की स्थिति का आंकलन भी जरूरी होता है।
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