शनिदेव तुला राशि में उच्च का तथा मेष राशि में नीच का फल देता है। शनि जिस भाव में विद्यमान होता है वहाँ से तीसरी, सातवीं तथा दसवीं पूर्ण दृष्टि अन्य भावों पर डालता है। शनि जिस राशि में भ्रमण करता है उसकी अगली तथा पिछली राशियों को साढ़ेसाती दशा के रूप में प्रभावित करता है। मानसगरी ग्रन्थ के अनुसार शनि देव का मित्र शुक्र व बुध ग्रह है| बृहस्पति सम ग्रह है| शेष सभी ग्रह शत्रु हैं। शनि ग्रह युवावस्था से लेकर वृद्धावस्था तक प्रभावित करता है
ज्योतिष के अनुसार शनिदेव दशम तथा एकादश भाग का प्रतिनिधित्व करता है। दशम भाव को कर्म, पिता तथा राज्य का भाव माना गया है। एकादश भाव को आय का भाव माना गया है। अतः कर्म, सत्ता तथा आय का प्रतिनिधि ग्रह होने के कारण शनि ग्रह व्यक्ति के जीवन को युवावस्था से लेकर वृद्धावस्था तक प्रभावित करता है।
ज्योतिष शास्त्र में शनि ग्रह को ‘पापी’ ग्रह की संज्ञा दी गई है। शनि से ही हमारा जीवन और हमारा कर्म संचालित होता है। कर्म, सत्ता तथा आय का प्रतिनिधि ग्रह होने के कारण कुंडली में शनि का स्थान बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। शनि ग्रह का अशुभ प्रभाव
जन्मकुंडली में शनि ग्रह अशुभ प्रभाव में होने पर व्यक्ति को निर्धन बना देता है। उस पर आलस विद्यमान हो जाता है। दुख उसे घेरे रहता है। बार बार व्यापार में हानि उठाना पड़ता है। जब शनि अशुभ फल देता है तो जातक नशीले पदार्थों का सेवन करने वाला बन जाता है। उसका दिमाक अच्छे कार्यों को नहीं लगता जिसके कारण नशे का सेवन करना, जुआ खेलना और मैच में सट्टा आदि लगाने में लग जाता है। शनि की अशुभ दृष्टि जिस पर पड़ी हो, ऐसे जातक को कब्ज व जोड़ों में दर्द की शिकायत आम है। यही नहीं, वह वहमी बन जाता है और ईश्वर पर विश्वास करना छोड़कर नास्तिक बन जाता है। शनि के अशुभ प्रभाव के कारण ही वह बुरे कर्मो को करने वाला , बेईमान, धोखेबाज तिरस्कृत और अधर्मी बन जाता है।
जिनके लिए शनि अशुभ है, उन्हें निम्न उपाय जरूर करना चाहिए… * ऐसे जातक को मांस , मदिरा, बीडी, सिगरेट नशीला पदार्थ आदि का सेवन नहीं करना चाहिए * हनुमान जी की पूजा करे। बजरंग बाण का पाठ करे * पीपल को जल दें। अगर ज्यादा ही शनि परेशान करे तो शनिवार के दिन श्मशान घाट या नदी के किनारे पीपल का पेड़ लगायें * सवा किलो सरसों का तेल किसी मिट्टी के कुल्हड़ में भरकर काला कपडा बांधकर किसी को दान दे दें या नदी के किनारे भूमि में दबाये * शनि के मंत्र का प्रतिदिन १०८ बार पाठ करें। मंत्र है ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः। या शनिवार को शनि मन्त्र ‘ॐ शनैश्वराय नम:’ का २३,००० जाप करें * उड़द के आटे का 108 गोली बनाकर मछलियों को खिलाने से लाभ होगा * बरगद के पेड की जड़ में गाय का कच्चा दूध चढाकर उस मिट्टी से तिलक करे तो शनि अपना अशुभ प्रभाव नहीं डालेगा * श्रद्धा भाव से काले घोड़े का नाल या नाव की कील का छल्ला मध्यमा अंगुली में धारण करें * शनिवार को सरसों के तेल की मालिश करें * शनिवार को शनि ग्रह की वस्तुओं का दान करें, जैसे- काला उड़द, चमड़े का जूता, नमक, सरसों तेल, नीलम, काला तिल, लोहे से बनी वस्तुएं, काला कपड़ा आदि।
शनिदेव के निम्न मंत्र का 23 हजार जप करें – * ओम प्रां प्रीं प्रों सः शनैश्चराय नमः * ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये। शंयोरभिश्रवन्तु नमः * ऊँ शं शनैश्चराय नमः
पौराणिक शनि मंत्र :-
* नीलांजनं समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्। छायामार्तण्ड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम्॥