5 जुलाई को चंद्रग्रहण के साथ ही आषाढ़ पूर्णिमा यानी गुरु पूर्णिमा भी है। अपने गुरुजनों के सम्मान में हिन्दू बौद्ध और जैन धर्म के अधिकांश लोग गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाते हैं। इस बार गुरु पूर्णिमा का यह त्योहार 5 जुलाई, दिन रविवार को है। गुरु पूर्णिमा का पर्व पूरणमासी यानी फुल मून वाले दिन मनाया जाता है। इस दौरान सभी शिष्य गुरुमंत्र देने वाले/ज्ञान देने वाले अपने गुरुओं की पूजा करते हैं। द्रिगपंचांग के अनुसार, गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जानते हैं। क्योंकि आज के दिन वेदव्यास का जन्म हुआ था। वेदव्यास ही महाभारत के रचयिता माने जाते हैं।
बहुत से लोग गुरु पूर्णिमा के मौके पर सत्यनारायण की कथा भी सुनते हैं। लोग अपने घरों के सामने बंदनवार सजाते हैं। तुलसी दल मिला हुआ प्रसाद बांटते हैं। आज के दिन पूजा में लोग अपने देवताओं को फल, मेवा अक्षत और खीर का भोग लगाते हैं। बहुत से लोग तो गुरु पूर्णिमा का दिन ध्यान-साधना में बिताते हैं।
गुरु पूर्णिमा का यह पर्व भिन्न-भिन्न लोगों में विभिन्न प्रकार से मनाया जाता है। इनमें से ज्यादातर लोग अपने दिन की शुरुआत नदी, सरोवरों में स्नान और पूजा पाठ से करते हैं। लोग अपने अध्यात्मिक गुरुओं के दर्शन भी करते हैं। शाम को अंत में मंगल आरती की जाती है। यह दिन व्रत के लिए भी बहुत ही पवित्र माना जाता है। व्रत करने वाले लोग पूरे दिन अन्न का सेवन नहीं करते और ना ही नमक का सेवन करते।
भारत में 5 जुलाई का ग्रहण समय-
5 जुलाई का चंद्रग्रहण एक मांद्य ग्रहण है, जिस कारण से इसका किसी भी राशि पर कोई असर नहीं होगा। चंद्र ग्रहण भारत में सुबह 8:37 बजे से 11:22 बजे रहेगा। हालांकि ग्रहण के दौरान लोग मंदिरों में पूजा पाठ नहीं करते बल्कि भगवान के नाम का स्मरण करते हैं। लेकिन इस बार का ग्रहण उपच्छाया चंद्रग्रहण है और यह भारत में दिखाई भी नहीं देगा ऐसे में इसका कोई खास महत्व नहीं है।
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