1) घर, एक ऐसी जगह होती है जहां हम खुलकर सांस लेना चाहते हैं। जहां मीठी-सी नींद पलक झपकते ही आ जाए। जहां कभी पूरे परिवार के साथ हंसी की खिलखिलाहट सुनाई दे तो कभी कोई कोना हमारे एकांत का साथी बने। इसी घर में जब कलह और तनाव मेहमान बनते हैं तो सारे घर की शांति चली जाती है। हमें नहीं पता होता है कि ऐसा क्यों होता है?
2) क्यों छोटी-छोटी बातों पर हम अपने ही परिवार से झगड़ बैठते हैं? वास्तु शास्त्र बताता है कि जाने-अनजाने घर के निर्माण में कुछ दोष रह जाते हैं, यह उन्हीं का परिणाम होता है। पेश है आसान से वास्तु टिप्स जो आपके घर को दें सुख, शांति और खुशियों की ठंडी छांव।
3) दरवाजों के कब्जों में तेल डालते रहें अन्यथा दरवाजा खोलते या बंद करते समय आवाज करते हैं, जो वास्तु के अनुसार अत्यंत अशुभ तथा अनिष्टकारी होता है।
4) घर में विद्युत संबंधी उपकरण जो कर्कश ध्वनि उत्पन्न करते हों जैसे पंखे, कूलर आदि की समय-समय पर मरम्मत करवाते रहें।
5) घर में कम से कम वर्ष में दो बार हवन में यज्ञ करवाएं।
6) अगर भवन में जल प्रवाह ठीक न हो या पानी की सप्लाई सही दिशा से न हो तो उत्तर-पूर्व दिशा से यानि ईशान कोण से भूमिगत जल की टंकी का निर्माण कर उसी से भवन में जल की सप्लाई करें।
7) ऐसा करने से यह वास्तुदोष समाप्त हो जाएगा तथा जल की गलत दिशा से सप्लाई भी बंद हो जायेगी।
😎 घर में पूजास्थल का निर्माण ईशान कोण में करवाएँ।
9) घर का अग्र भाग ऊंचा तथा पृष्ठ भाग नीचा हो तो निचले भाग में डिश एंटीना, टी.वी. एंटीना आदि को अगले भाग से ऊँचा कर लगा दें। इस प्रकार यह वास्तुदोष पूर्ण रूप से समाप्त हो जायेगा।
10) यदि घर का पूर्व एवं आग्नेय निचले हों और वायव्य तथा पश्चिम ऊंचे हों तो प्लाट के स्वामी को लड़ाई-झगड़े, विवाद के कारण मानसिक यातना सहनी पड़ती है।
11) घर का वायव्य कोण निचला होने पर भी शत्रुओं की संख्या बढ़ती है शत्रुओं के कारण गृह-स्वामी को मानसिक तनाव रहता है।
12) अगर किसी घर का दक्षिण और आग्नेय निचला हो, वायव्य और उत्तर ऊंचे हों तो घर का मालिक कर्ज और बीमारी के कारण मानसिक तनाव में रहता है।
13) जिस घर का नैऋत्य और दक्षिण निचला होता है और उत्तर और ईशान ऊँचा होता है तो ऐसे घरों के मालिक को अपवित्र कार्य करने और व्यसनों का दास बनने से मानसिक अशांति रहती है और परिवार के लोग भी तनाव में रहते है।
14) यदि आपकी दो मंजिला मकान बनवाने की योजना है, तो पूर्व एवं उत्तर दिशा की ओर भवन की ऊंचाई कम रखें।
15) इस बात का ध्यान रखें कि भवन में उत्तर-पूर्व दिशा में ही दरवाजे व खिड़कियां सर्वाधिक संख्या में होने चाहिए।
हनुमानजी की पूजा सबसे जल्दी मनोकामनाएं पूर्ण करने वाली मानी गई है। शनिवार के दिन हनुमानजी को प्रसन्न करने के लिए विशेष उपाय करें तो कुछ ही समय में किस्मत चमक सकती है। ये खास उपाय आपकी हर मनोकामना पूरी कर सकते हैं और सभी कष्टों का निवारण कर सकते हैं।
1- शनिवार के दिन राम मंदिर में जाएं। हनुमान जी के मस्तक का सिंदूर दाहिने हाथ के अंगूठे से लेकर सीता माता के चरणों में लगा दें। मनोकामना पूरी करने के लिए प्रार्थना करें।
2 – शनिवार की सुबह स्नान करने के बाद बड़ के पेड़ का एक पत्ता तोड़ें और इसे साफ पानी से धो लें। अब इस पत्ते को कुछ देर हनुमानजी के सामने रखें। इसके बाद इस पर केसर से श्रीराम लिखें। अब इस पत्ते को अपने पर्स में रख लें। साल भर आपका पर्स पैसों से भरा रहेगा।
3- हनुमान जी की कृपा पाने के लिए शनिवार के दिन व्रत करके शाम के समय बूंदी का प्रसाद बांटने से भी पैसों की तंगी दूर हो जाती है।
4 – शनिवार के दिन हनुमान जी के मन्दिर में जाएं। उनके कंधों पर से सिन्दूर लाकर अपने कलेजे पर लगाएं। नजर का प्रभाव समाप्त होगा और समृद्धि के द्वार खुलेंगे।
5-शनिवार को शाम के समय हनुमान जी को केवड़े का इत्र व गुलाब की माला चढ़ाएं। हनुमान जी को खुश करने का यह सबसे सरल उपाय है।
6 – जीवन की समस्त समस्याओं के निवारण के लिए शनिवार की शाम हनुमान जी के मंदिर में जाएं और रामरक्षा स्त्रोत का पाठ करें।
7- शनिवार की शाम को हनुमान मंदिर में जाएं। एक सरसों के तेल का और एक शुद्ध घी का दीपक जलाएं। वहीं बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ करें। हनुमान जी की कृपा पाने का ये एक अचूक उपाय है।
8- शनिवार के दिन हनुमानजी के पैरों में फिटकरी रखें फिर जिन्हें बुरे सपने आते हों वे अपने सिरहाने इस फिटकरी को रखें। बुरे सपने नहीं आएंगे।
9- यदि कोई व्यक्ति पैसों की तंगी का सामना करना रहा है तो उसे प्रति मंगलवार और शनिवार को पीपल के 11 पत्तों का यह उपाय अपनाना चाहिए। ब्रह्म मुहूर्त में उठें। इसके बाद नित्य कर्मों से निवृत्त होकर किसी पीपल के पेड़ से 11 पत्ते तोड़ लें। ध्यान रखें पत्ते पूरे होने चाहिए, कहीं से टूटे या खंडित नहीं होने चाहिए।
इन 11 पत्तों पर स्वच्छ जल में कुमकुम या अष्टगंध या चंदन मिलाकर इससे श्रीराम का नाम लिखें। नाम लिखते समय हनुमान चालीसा का पाठ करें। जब सभी पत्तों पर श्रीराम नाम लिख लें, उसके बाद राम नाम लिखे हुए इन पत्तों की एक माला बनाएं। इस माला को किसी भी हनुमानजी के मंदिर जाकर वहां बजरंगबली को अर्पित करें। इस प्रकार यह उपाय करते रहें। कुछ समय में सकारात्मक परिणाम प्राप्त होंगे।
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