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कुंडली में कर्ज के योग | कर्ज में फंसने के योग | छटा भाव
Dosh Nivaran

कुंडली में कर्ज के योग | कर्ज में फंसने के योग | छटा भाव 

कुंडली में षष्ठम, अष्टम, द्वादश भाव कर्ज का कारक भाव और मंगल ग्रह कर्ज का कारक ग्रह माना जाता है। जब कुंडली में मंगल ग्रह कमजोर हो या किसी अशुभ ग्रह के साथ युति में हो तो जातक कर्ज के नीचे दब जाता है।
इसके अलावा मंगल के अष्टम, द्वादश, षष्ठम भाव में होने पर एवं मंगल के अशुभ स्‍थान में होने की अवस्‍था में व्‍यक्‍ति को कर्ज लेना पड़ जाता है।

छठवां भाव और कर्ज की समस्या

हमारा जन्म होते ही हम सभी अपने प्रारब्ध के चक्र से बंध जाते हैं और जन्मकुंडली हमारे इसी प्रारब्ध को प्रकट करती है हमारे जीवन में सभी घटनाएं नवग्रह द्वारा ही संचालित होती हैं। आज के समय में जहाँ आर्थिक असंतुलन हमारी चिंता का एक मुख्य कारण है वहीँ एक दूसरी स्थिति जिसके कारण अधिकांश लोग चिंतित और परेशान रहते हैं वह है “कर्ज” धन का कर्ज चाहे किसी से व्यक्तिगत रूप से लिया गया हो या सरकारी लोन के रूप में ये दोनों ही स्थितियां व्यक्ति के ऊपर एक बोझ के समान बनी रहती हैं कई बार ना चाहते हुये भी परिस्थितिवश व्यक्ति को इस कर्ज रुपी बोझ का सामना करना पड़ता है वैसे तो आज के समय में अपने कार्यो की पूर्ती के लिए अधिकांश लोग कर्ज लेते हैं परन्तु जब जीवन पर्यन्त बनी रहे या बार बार सामने आये तो वास्तव में यह भी हमारी कुंडली में बने कुछ विशेष ग्रहयोगों के कारण ही होता है –

” हमारी कुंडली में “छटा भाव” कर्ज का भाव माना गया है अर्थात कुंडली का छटा भाव ही व्यक्ति के जीवन में कर्ज की स्थिति को नियंत्रित करता है जब कुंडली के

★छठ्टे भाव में कोई पाप योग बना हो या षष्टेश ग्रह बहुत पीड़ित हो तो व्यक्ति को कर्ज की समस्या का सामना करना पड़ता है जैसे –
★यदि छठ्ठे भाव में कोई पाप ग्रह नीच
राशि में भावस्थ हो,
★छठ्ठेे भाव में राहु-चन्द्रमाँ की युति या
★राहु-सूर्य के साथ होने से ग्रहण योग
बन रहा हो,
★छठ्ठेे भाव में राहु मंगल का योग हो,
★छठ्ठे भाव में गुरु-चाण्डाल योग बना हो,
★शनि-मंगल या केतु-मंगल की युति छठ्ठे भाव में हो तो …ऐसे पाप या क्रूर योग जब कुंडली के छटे भाव में बनते हैं तो व्यक्ति को
★कर्ज की समस्या बहुत परेशान करतीहै- पेमेंट में बहुत समस्यायें आती हैं।
★छठ्ठे भाव का स्वामी ग्रह भी जब नीच राशि में हो अष्टम भाव में हो या बहुत पीड़ित हो तो कर्ज की समस्या होती है । ★इसके अलावा “मंगल” को कर्ज का नैसर्गिक नियंत्रक ग्रह माना गया है !!
अतः यहाँ मंगल की भी महत्वपूर्ण भूमिका है यदि कुंडली में
★मंगल अपनी नीच राशि(कर्क) में हो आठवें भाव में बैठा हो,
★अन्य प्रकार से अति पीड़ित हो तो भी कर्ज की समस्या बड़ा रूप ले लेती है”

विशेष: –

यदि छठ्ठे भाव में बने पाप योग पर *बलि बृहस्पति की दृष्टि पड़ रही हो तो कर्ज का रीपेमेंट संघर्ष के बाद हो जाता है या व्यक्ति को कर्ज की समस्या का समाधान मिल जाता है परन्तु बृहस्पति की शुभ दृष्टि के आभाव में समस्या बनी रहती है l*
छठ्ठे भाव में पाप योग जितने अधिक होंगे उतनी समस्या अधिक होगी, अतः
* कुंडली का छठा भाव पीड़ित होने पर लोन आदि लेने में भी बहुत सतर्कता बरतनी चाहिये l*
बहुत बार व्यक्ति की कुंडली अच्छी होने पर भी व्यक्ति को कर्ज की समस्या का सामना करना पड़ता है जिसका कारण उस समय *कुंडली में चल रही अकारक ग्रहों की दशाएं या गोचर ग्रहों का प्रभाव होता है जिससे अस्थाई रूप से व्यक्ति उस विशेष समय काल के लिए कर्ज के बोझ से घिर जाता है l* उदाहरणार्थ : अकारक षष्टेश और द्वादशेश की दशा

content credit – भागवत ज्योतिष सेवा संस्थान।

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