वैदिक ज्योतिष में शनि को क्रूर ग्रह के साथ न्यायाधीश और दंडाधिकारी माना जाता है। अर्थात यह मनुष्यों को उनके अच्छे बुरे कर्मों की सजा देते हैं। शनि की महादशा बहुत ही प्रभावी मानी जाती है और इसका जातक पर शुभ और अशुभ दोनों प्रभाव पड़ता है। हम सभी का करियर, रुपये-पैसे और यहां तक कि दांपत्य जीवन भी शनि की दशा पर ही निर्भर करता है। इसलिए माना जाता है कि अगर कोई और ग्रह शनि की महादशा के साथ अंतर्दशा में चले तो उसके भी परिणाम बदल जाते हैं। शनि की महादशा कुंडली में 19 साल तक चलती है। 19 साल तक शनि की महादशा के बीच सभी नवग्रहों की अंतर्दशा आती-जाती रहती है। आइए जानते हैं शनि की महादशा पर 9 ग्रहों की अंतर्दशा के क्या होते हैं प्रभाव और क्या हैं उनके उपाय…
शनि की महादशा में शनि की अंतर्दशा
शनि की महादशा में शनि की ही अंतर्दशा तीन वर्ष की होती है। दोनों ही स्थानों पर शनि का होना आपको काफी मिले-जुले परिणाम देने वाला होता हे। इस दौर में आपको जमीन से जुड़े मामलों में भी लाभ मिलता है। यह अवधि जीवनसाथी और संतान संबंधी मामलों के लिए भी ठीक है। आपको समाज में भी सम्मान मिलता है। वहीं यदि शनि का प्रभाव नकारात्मक है तो यह अवधि नौकरी और व्यापार में आपके लिए काफी कष्टदायी हो जाती है। परिवार और भाई-बहनों के साथ आपके संबंधों में परेशानी आने लगती है और आप तनाव व अन्य मानसिक रोगों से घिर सकते हैं।
शनि की महादशा में बुध की अंतर्दशा
शनि की महादशा में बुध की अंतर्दशा दो वर्ष आठ महीने एवं नौ दिन की होती है। इस अवधि में आपको करियर और आर्थिक दृष्टि से शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। बुध के अंतर्दशा में होने से यह काफी हद तक शनि के नकारात्मक प्रभाव को कम करता है। ऐसे वक्त में जातक समाज में एक बेहतरीन छवि स्थापित करता है और सुख सुविधाएं भी प्राप्त करता है। करियर और व्यापार में भी बुध की वजह से सफलता का स्वाद चखने को मिलता है। व्यक्ति की इस वक्त दान पुण्य में रुचि बढ़ जाती है।
शनि की महादशा में केतु की अंतर्दशा
शनि की महादशा में केतु की अंतर्दशा एक वर्ष एक महीने और 9 दिन की होती है। शनि के साथ केतु के संयोग से जातकों को लाभ की प्राप्ति होती है। इस अवधि में जातक को विदेश जाने का मौका भी मिल सकता है तो वहीं आय में भी वृद्धि होने की संभावना रहती है। भक्ति भाव में मन लगने लगता है। वहीं अगर केतु नकारात्मक भाव में होते हैं तो जातक अंदर से कमजोर पड़ने लगता है और कई बीमारियों से घिरने लगता है। मन में शांति और संतोष की कमी आने लगती है और अजीब से नकारात्मकता बैठने लगती है।
शनि की महादशा में शुक्र की अंतर्दशा
शनि की महादशा में शुक्र की अंतर्दशा तीन वर्ष दो महीने की होती है। शनि की महादशा में शुक्र जब अंतर्दशा में होते हैं तो व्यक्ति का जीवन फिर से पटरी पर आने लगता है और बिगड़ी हुई चीजें सुधरने लगती हैं। कुल मिलाकर यह संयोग जातक के लिए शुभ फल देने वाला माना जाता है। इस वक्त में जातकों का वैवाहिक जीवन भी सुखद रहता है और जिन लोगों की शादी नहीं हुई होती है उनके विवाह के संयोग बनने लग जाते हैं। करियर भी बुलंदियों को छूने लगता है।
शनि की महादशा में सूर्य की अंतर्दशा
शनि की महादशा में सूर्य की अंतर्दशा 11 महीने एवं 12 दिन की होती है। चूंकि शनि और सूर्य को एक-दूसरे का परम शत्रु माना जाता है इसलिए शनि की महादशा में सूर्य की अंतर्दशा अशुभ फल ही प्रदान करती है। पिता और पुत्र होने के बाद भी शनि और सूर्य एक-दूसरे के दुश्मन कहलाते हैं। इसके प्रभाव से पिता के साथ संबंधों में तल्खी आ सकती है। पारिवारिक समसस्याएं उत्पन्न होती हैं और जातक परेशान रहते हैं। स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं जैसे बुखार, सिर दर्द और दिल से जुड़ी समस्याएं भी इस अवधि के दौरान परेशान करती हैं।
शनि की महादशा में चंद्र की अंतर्दशा
शनि की महादशा में चंद्रमा की अंतर्दशा एक वर्ष सात महीने की होती है। इस संयोग को जातकों के लिए अशुभ फल देने वाला माना जाता है। इस अवधि में जातक को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं अधिक परेशान करती हैं और वैवाहिक जीवन में भी तनाव रहता है। शारीरिक दुर्बलता के चलते दांपत्य सुख की प्राप्ति नहीं होती है। रिश्तेदारों के साथ संबंध प्रभावित होते हैं और दुश्मनों की संख्या बढ़ जाती है। इतना ही नहीं धन के मामले में भी जातकों को उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है।
शनि की महादशा में मंगल की अंतर्दशा
शनि की महादशा में मंगल की अंतर्दशा एक वर्ष एक महीने एवं नौ दिन की होती है। मंगल को भी आक्रामक और क्रूर रूप में पहचान प्राप्त है। जब शनि की महादशा के साथ होते हैं और जातक के जीवन में मुश्किलें आती हैं। जातकों के स्वभाव में भी आक्रामकता बढ़ जाती है और गुस्सा अधिक आने लगता है। यह दशा जीवनसाथी के साथ टकराव और अलगाव का कारण बनता है। कुछ त्वचा संबंधी एलर्जी भी जातक के लिए बनी रहती है। इस दशा में जातकों को दुश्मनों से बेहद सावधान रहने की जरूरत होती है। करियर के मामले में भी कुछ गिरावट आ सकती है।
शनि की महादशा में राहु की अंतर्दशा
शनि की महादश में राहु की अंतर्दशा दो वर्ष दस महीने एवं छः दिन की ती है। इस दौरान जातक के जीवन में कड़े संघर्ष होते हैं और कड़ी मेहनत के बाद भी जातकों को सफलता नहीं प्राप्त होती है। मानसिक कष्ट के साथ तनाव भी रहता है और जीवन में परेशानियां आती रहती हैं। आर्थिक रूप से ऐसे लोग परेशान रहते हैं। कोई भी प्रयास सार्थक नहीं रहता।
शनि की महादशा में बृहस्पति की अंतर्दशा
शनि की महादशा में गुरु की अंतर्दशा दो वर्ष छः महीने एवं बारह दिन की होती है। बृहस्पति ग्रह आपको शुभ फल प्रदान करने वाला होता है। यह भी दृढ़ता से ज्ञान और आध्यात्मिकता के साथ जुड़ा हुआ है। यह अवधि जातकों के करियर में नई ऊंचाई लेकर आती है। परिणाम स्वरूप आपको हर काम में सफलता प्राप्त होती है। आपके पारिवारिक जीवन में खुशियां भी लौट आती हैं। आध्यात्म और धर्म-कर्म में रुचि बढ़ जाती है।
कुण्डली वीशलेषण कुण्डली मीलान
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