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Savitri Puja 2025: तिथि, व्रत कथा, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
Savitri Puja 2025: तिथि, व्रत कथा, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
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Savitri Puja 2025: तिथि, व्रत कथा, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त 

सावित्री पूजा 2025 (Savitri Puja 2025), जिसे वट सावित्री व्रत भी कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण हिंदू व्रत है जो विशेष रूप से विवाहित स्त्रियों द्वारा अपने पति की लंबी आयु और सुखद वैवाहिक जीवन की कामना के लिए रखा जाता है। यह व्रत मुख्य रूप से उत्तर भारत, बिहार, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं, वट (बरगद) वृक्ष की पूजा करती हैं और सावित्री-सत्यवान की कथा सुनती हैं। सावित्री पूजा का वर्णन महाभारत जैसे प्राचीन ग्रंथों में मिलता है, जो इसके धार्मिक महत्व को दर्शाता है।

सावित्री पूजा 2025 की तिथि और समय (Savitri Puja date and time)

वर्ष 2025 में सावित्री पूजा का पर्व सोमवार, 26 मई 2025 को मनाया जाएगा। यह व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को रखा जाता है। सावित्री पूजा की तिथि चंद्रमा की स्थिति पर आधारित होती है और पंचांग के अनुसार तय की जाती है।

  • अमावस्या तिथि प्रारंभ: 25 मई 2025 को रात्रि 08:40 बजे से
  • अमावस्या तिथि समाप्त: 26 मई 2025 को रात्रि 09:55 बजे तक

इस दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर व्रत का संकल्प लेती हैं और वट वृक्ष की पूजा करती हैं। पूजा के लिए मध्याह्न का समय सबसे उपयुक्त माना जाता है।

  • शुभ पूजा मुहूर्त: 26 मई 2025 को सुबह 10:50 बजे से दोपहर 01:30 बजे तक

सावित्री व्रत पूजा सामग्री (Savitri Vrat 2025 Puja Samagri)

सावित्री पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:

  • काला धागा या मौली
  • लाल और पीला वस्त्र
  • व्रत कथा की पुस्तक
  • रोली, हल्दी, चावल, सुपारी
  • धूप, दीप, कपूर, अगरबत्ती
  • मिठाई, फल और नैवेद्य
  • जल कलश, पंचामृत
  • मिट्टी या धातु से बनी सावित्री-सत्यवान की मूर्तियाँ
  • वट वृक्ष की पूजा के लिए कच्चा सूत (धागा)
  • फूल, especially बेलपत्र और माला
  • एक छोटी सी आसन या चटाई

इन सभी सामग्रियों को पूजा से पूर्व एकत्र कर लेना चाहिए ताकि पूजन विधि बिना विघ्न सम्पन्न हो सके। कुछ महिलाएं इस दिन के लिए विशेष रूप से साड़ी या पारंपरिक परिधान पहनती हैं और श्रृंगार करती हैं।

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सावित्री व्रत पूजा विधि (Savitri Vrat Puja  2025 Vidhi)

  1. प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें और व्रत का संकल्प लें।
  2. पूजा स्थल को स्वच्छ करें और वट वृक्ष के नीचे पूजा की थाली सजाएं।
  3. वट वृक्ष की जड़ में जल अर्पित करें और कच्चा सूत 7, 11 या 21 बार वृक्ष के चारों ओर लपेटें।
  4. सावित्री और सत्यवान की प्रतिमा को स्थापित करें।
  5. रोली, चावल, हल्दी, पुष्प आदि से पूजा करें।
  6. व्रत कथा का श्रवण करें या पढ़ें। कथा सुनते समय ध्यान रखें कि श्रद्धा भाव से कथा सुनी जाए।
  7. अंत में आरती करें और फल-नैवेद्य अर्पित करें।
  8. व्रत रखने वाली महिलाएं दिनभर निर्जल व्रत रखती हैं और संध्या के बाद ही अन्न-जल ग्रहण करती हैं।

पूजा में महिलाओं द्वारा गीत गाए जाते हैं, भजन गूंजते हैं और पूजा में सामाजिक सहभागिता का भाव भी दिखता है।

सावित्री व्रत कथा (Savitri Pooja 2025 Vrat Katha)

सावित्री व्रत कथा महाभारत से जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि सावित्री एक अत्यंत धर्मपरायण, सती और बुद्धिमान स्त्री थीं। उन्होंने सत्यवान से विवाह किया, जिसे अल्पायु कहा गया था। एक दिन यमराज सत्यवान का प्राण हरने आए, तब सावित्री ने उनका पीछा किया और अपने तप, भक्ति और वाणी के प्रभाव से यमराज को प्रसन्न कर दिया। यमराज ने उन्हें वर मांगने को कहा, तब सावित्री ने अपने सास-ससुर की नेत्र ज्योति, राज्य की समृद्धि और अंत में अपने पति की दीर्घायु मांगी। यमराज ने उसकी सभी इच्छाएँ पूरी कीं और सत्यवान को जीवनदान दिया।

यह कथा नारी शक्ति, श्रद्धा, तप और पतिव्रता धर्म की सजीव मिसाल है, जिसे सुनना और सुनाना दोनों ही अत्यंत पुण्यकारी माने जाते हैं। यह कथा हमें यह भी सिखाती है कि नारी केवल कोमलता की प्रतीक नहीं, बल्कि अद्भुत साहस और संकल्प की धनी होती है।

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सावित्री पूजा का महत्व (Savitri Pooja Importance)

सावित्री पूजा का महत्व भारतीय संस्कृति में बहुत उच्च स्थान रखता है। यह व्रत स्त्रियों को मानसिक, आत्मिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाता है। यह नारी के संकल्प, शक्ति और समर्पण को दर्शाता है।

  1. यह व्रत पति की लंबी आयु और स्वास्थ्य के लिए किया जाता है।
  2. महिलाएं इस व्रत के माध्यम से संयम, तपस्या और श्रद्धा का अभ्यास करती हैं।
  3. यह पर्व नारी शक्ति और पतिव्रता धर्म की प्रतीक सावित्री के त्याग और दृढ़ता को श्रद्धांजलि देता है।
  4. पारिवारिक सुख, शांति और समृद्धि के लिए भी यह व्रत अत्यंत शुभ माना गया है।
  5. इस व्रत से स्त्रियों में आत्मबल और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  6. यह पूजा एकता, प्रेम और पारिवारिक मूल्यों को सशक्त करती है।

निष्कर्ष:

सावित्री पूजा 2025 एक ऐसा पर्व है जो स्त्री की शक्ति, प्रेम, समर्पण और दृढ़ विश्वास का प्रतीक है। इस दिन के व्रत और पूजा से न केवल पति की दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है, बल्कि संपूर्ण परिवार के लिए सुख और समृद्धि का मार्ग भी प्रशस्त होता है। सावित्री जैसी महान स्त्रियों की कथाएँ आज भी महिलाओं को प्रेरित करती हैं और भारतीय संस्कृति की समृद्ध परंपराओं को जीवंत बनाए रखती हैं। इस वर्ष 2025 में सावित्री पूजा का पर्व सभी व्रती महिलाओं के लिए विशेष फलदायक और शुभ रहेगा।

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