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कुंडली के सभी भाव में शनि का फल और उपाय
कुंडली के सभी भाव में शनि का फल और उपाय
Astrology

कुंडली के सभी भाव में शनि का फल और उपाय 

शनि ग्रह का कुंडली में विशेष स्थान होता है। इसे न्यायप्रिय और कर्मफलदाता ग्रह माना गया है। कुंडली में शनि जिस भाव में स्थित होता है, उस भाव के फल को प्रभावित करता है। इसका प्रभाव शुभ या अशुभ दोनों रूप में हो सकता है। इस लेख में हम जन्म कुंडली के 12 भावों में शनि के फल पर चर्चा करेंगे।

पहले भाव (लग्न) में शनि का फल

पहला भाव व्यक्ति के व्यक्तित्व और जीवन के प्रारंभिक समय को दर्शाता है।

यदि कुंडली में शनि पहले भाव में हो, तो व्यक्ति अनुशासित और गंभीर स्वभाव का होता है। ऐसा व्यक्ति धीरे-धीरे सफलता पाता है।

दूसरे भाव में शनि का फल

दूसरा भाव धन और परिवार से संबंधित है। शनि इस भाव में हो, तो धन संचय में कठिनाई हो सकती है।

लेकिन मेहनत से स्थिरता संभव है।

तीसरे भाव में शनि का फल

तीसरा भाव साहस और छोटे भाई-बहनों को दर्शाता है। यहां शनि व्यक्ति को धैर्यवान बनाता है।

यह व्यक्ति साहसी और गंभीर विचारों का होता है।

चौथे भाव में शनि का फल

चौथा भाव माता और स्थायी संपत्ति का है। कुंडली में शनि इस भाव में हो, तो भूमि से लाभ हो सकता है।

हालांकि, माता के साथ संबंध चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं।

पंचम भाव में शनि का फल

पंचम भाव शिक्षा, संतान और रचनात्मकता का है। कुंडली में शनि इस भाव में हो, तो शिक्षा में देरी हो सकती है।

ऐसा व्यक्ति गहराई से सोचने वाला होता है।

छठे भाव में शनि का फल

छठा भाव रोग, शत्रु और कर्ज को दर्शाता है।

कुंडली में शनि इस भाव में हो, तो व्यक्ति अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है।

रोगों से बचाव के लिए सतर्कता आवश्यक है।

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सातवें भाव में शनि का फल

सातवां भाव विवाह और साझेदारी का है। यहां शनि विवाह में देरी या जीवनसाथी से मतभेद का संकेत देता है।

आठवें भाव में शनि का फल

आठवां भाव जीवन के रहस्यों और आयु को दर्शाता है।

कुंडली में शनि इस भाव में व्यक्ति को जीवन में अचानक बदलाव का सामना करना पड़ता है।

नवम भाव में शनि का फल

नवम भाव धर्म, भाग्य और विदेश यात्रा से जुड़ा है।

यहां कुंडली में शनि व्यक्ति को कर्म प्रधान बनाता है। भाग्य देर से साथ देता है।

दशम भाव शनि का फल

दशम भाव करियर और प्रतिष्ठा का है। शनि इस भाव में व्यक्ति को उच्च पद और सम्मान दिलाता है।

मेहनत से करियर में सफलता मिलती है।

ग्यारहवें भाव शनि का फल

ग्यारहवां भाव लाभ और इच्छाओं को दर्शाता है। शनि इस भाव में व्यक्ति को दीर्घकालिक लाभ देता है। धन संचय संभव है।

बारहवें भाव शनि का फल

बारहवां भाव खर्च और मोक्ष का है। शनि इस भाव में आध्यात्मिक उन्नति का संकेत देता है।

ऐसा व्यक्ति विदेशी स्थानों से लाभ पाता है।

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शनि के उपाय (shani ke upay)

  • शनिवार का व्रत रखें
  • शनि मंत्र का जाप करें
  • शनिदेव को सरसों का तेल चढ़ाएं
  • काले तिल का दान करें
  • जरूरतमंदों की मदद करें

शनि की ढैय्या या साढ़े साती के उपाय (shani ki sade sati ke upay)

  • शनिवार को काले कपड़े पहनें।
  • काले घोड़े की नाल से बनी अंगूठी धारण करें।
  • पीपल के पेड़ की पूजा करें और उसके नीचे दीप जलाएं।

निष्कर्ष

शनि ग्रह का प्रभाव कुंडली के हर भाव पर अलग होता है। शनि शुभ हो तो व्यक्ति को अनुशासन और सफलता देता है। अशुभ स्थिति में यह बाधाएं उत्पन्न कर सकता है। इसलिए शनि की स्थिति का विश्लेषण ध्यानपूर्वक करना चाहिए।

शनि को समझने और इसके उपाय करने से जीवन को बेहतर बनाया जा सकता है।

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