ज्योतिष में माना जाता है कि पूर्व जन्म के पाप-पुण्य का फल वर्तमान के ग्रहों की दशादि(shani antardasha) से प्रकट होता है। ऐसे में अनिष्ट को रोकने एवं अच्छे फल के लिए दशभक्ति का ज्ञान होना जरूरी है। ज्योतिष ग्रन्थ जातक पारिजात के अनुसार किसी व्यक्ति के जीवन में मिलने वाले फल दशाओ से उसी प्रकार निर्धारित होते हैं, जैसे वर्ण व्यवस्था में भोग व्यवस्था होती है। ज्योतिष ग्रन्थ सारावली के अनुसार सभी ग्रह अपनी दशा मे अपने गुण-दोष के आधार पर शुभ-शुभ फल प्रदान करते हैं। ऐसे में पापग्रह माने जाने वाले शनि की दशाओं का विवेचन ज्योतिषियों ने गहन शोध एवं अनुभव के आधार पर किया है। ऐसा इसलिए कि शनि अनुकूल होने पर सुख की झडी लगा देता है, तो प्रतिकूल होने पर भयंकर कष्ट देता है।
शनि की साढेसाती, ढैय्या, कंटक, महादशा, अंतर्दशा और यहां तक कि प्रत्यंतर्दशा भी घातक होती है। शनि के प्रकोप से ही राजा विक्रमादित्य को भयंकर कष्ट भोगने पडे। भगवान राम को वनवास भोगना पडा। वैसे, शनि को न्याय का देवता कहा जाता है। अत: इसकी दशा इत्यादि में अच्छे ज्योतिष से परामर्श लेकर उचित उपाय किए जाएं तो शनिदेव का कोप कुछ शांत भी किया जा सकता है।
शनि की महादशा के अन्तर्गत शनि, बुध, केतु, शुक्र, सूर्य, चन्द्रमा, मंगल, राहु एवं बृहस्पति की अन्तर्दशाएं आती हैं।
Shani antardasha के परिणाम
शनि में शनि की अन्तर्दशा (Shani antardasha)
जातक लंबी बीमारियों से भी परेशान रहता है। शनि की अन्तर्दशा में जातक पर दु:खों यानी कष्टों का पहाड टूट पडता है। उसको बार-बार अनादर यानी अपमान का सामना करना पडता है। वह समाज विरोधी और घूमंतु हो जाता है। उसके कारण पत्नी-पुत्र दु:खी होते हैं।
शनि में बुध की अन्तर्दशा(Shani antardasha)
जब बुध की अन्तर्दशा आती है, तब जातक के भाग्य मे वृद्धि होती है। सुख-संपत्ति में बढोतरी होती है।
वह आनंद का अनुभव करता है। जातक सदाचार की ओर प्रवृत्त होता है। चित्तवृत्ति कोमल निर्मल हो जाती है।
शनि में केतु की अन्तर्दशा(Shani antardasha)
केतु की अन्तर्दशा में पत्नी और सन्तान से वैचारिक मतभेद उभरते हैं। जातक के मन में भय बढता है।
पित्त एवं वातजनित बीमारियों से वह परेशान रहता है। बुरे-बुरे सपने देखता है
और अनिद्रा का शिकार होता है। यानी उसे पूरी नींद नहीं आती।
रातभर बुरे भाव मन में आते रहते हैं और आशंकाएं उभरती रहती हैं।
शनि में शुक्र की अन्तर्दशा(Shani antardasha)
शुक्र की अन्तर्दशा में व्यक्ति के दु:खों का अंत होकर सुख मिलने लगता है।
उसके संपर्क में उसके हित में सोचने वाले आते हैं। यश और सम्मान की प्राप्ति होती है।
दुश्मनो का शमन होता है। पुत्र एवं कार्यक्षेत्र यानी प्रोफेशन एवं नौकरी से सुख प्राप्त होता है।
शनि में सूर्य की अन्तर्दशा(Shani antardasha)
सूर्य की अन्तर्दशा आने पर जातक को विभिन्न प्रकार के संकटों का सामना करता पडता है।
पत्नी, पुत्र, सम्मान, यश, संपत्ति एवं आत्मविश्वास का नाश होता है। नेत्र एवं उदर रोग परेशान करते हैं।
दरअसल, शनि और सूर्य घोर शत्रु माने गए हैं। इसलिए शनि में सूर्य की अंतर्दशा कष्टकारी रहती है।
शनि में चन्द्रमा की अन्तर्दशा(Shani antardasha)
चन्द्रमा की अन्तर्दशा में सुखों का क्षरण होता है यानी सुख में कमी आती है।
व्यक्ति को वातजन्य बीमारी घेरती है। हालांकि धनागम होता है यानी पैसा आता है।
शनि में मंगल की अन्तर्दशा
मंगल की अन्तर्दशा जातक को स्थानांतरण करवाती है। दूसरे शब्दों में पत्नी, पुत्र, मित्र इत्यादि से दूर जाना पडता है।
जातक भयभीत और आशंकति-सा रहता है। यश में कमी आती है।
शनि में राहु की अन्तर्दशा
राहु की अन्तर्दशा में स्वास्थ्य संबंधी परेशानी होती है यानी यह अंतर्दशा रोग लाती है।
सरकार और शत्रु से परेशानी होती है। संपत्ति एवं यश की हानि होती है। हर काम में बाधा आती है।
शनि में बृहस्पति की अन्तर्दशा
बृहस्पति की अन्तर्दशा आमतौर पर श्रेष्ठ फल प्रदान करती है। जातक का गृहस्थी सुख बढता है। स्थाई संपत्ति में वृद्धि होती है। पदोन्नति होती है एवं सम्मानजनक पद की प्राप्ति होती है। इस दशा में जरूरत पडने पर जातक को सत्ता का संरक्षण भी मिलता है। जातक के मन में वरिष्ठजनों एवं धर्म के प्रति आदरभाव बढता है। वैसे, शनि महादशा मे विभिन्न ग्रहों की अन्तर्दशाओ के उपरोक्त फल जन्मकुंडली मे ग्रहों के पारस्परिक संबंधों पर निर्भर है। इसलिए जन्मकुंडली में यह देखकर ही फलादेश किया जाना चाहिए।
Shani antardasha से बचने के उपाय
शनि की साढे साती, ढैया, महादशा एवं अन्तर्दशा में शनि के प्रकोप से बचने के लिए कई उपाय किए जाते हैं। निम्नलिखित उपायों में से अपनी श्रद्धा एवं क्षमतानुसार कोई उपाय करके शनिदेव को शान्त करने का प्रयास किया जा सकता है।
- किसी शु्क्ल पक्ष के शनिवार से शुरू कर वर्षभर हर शनिवार को बन्दरों और काले कुत्तों को लड्डू खिलाएं।
- शनिवार को काली गाय के मस्तक पर रोली का तिलक लगा, सींगों पर मौळी बांधकर पूजन करने के बाद गाय की परिक्रमा कर उसे बूंदी के चार लड्डू खिलाएं।
- हर शनिवार बन्दरों को मीठी खील, केला, काले चने एवं गुड खिलाएं।
- हर शनिवार को काले कुत्ते को तेल से चुपडी रोटी मिठाई सहित खिलाएं।
- शनिवार को व्रत रखें। नमक रहित भोजन से व्रत खोलें। सूर्यास्त के बाद हनुमान जी का पूजन दीपक में काले तिल डालकर तेल का दीपक प्रज्वलित करके करें।
- शनिवार को पीपल के वृक्ष के चारों ओर सात बार परिक्रमा करते हुए कच्चा सूत लपेटें। इस दौरान ॐ शं शनैश्चाराय नमः: मंत्र का उच्चारण करते रहें।
- शनिवार को कच्चे दूध में काले तिल डालकर शिवलिंग पर अभिषेक करें।
- रोजाइन दसनामों का उच्चारण करना चाहिए-कोणस्थ, पिंगल, बभ्रु, कृष्ण:, रौद्रान्तक:, यम:, शौरि:, शनैश्चर:, मन्द:, पिप्पलादेव संस्तुत:।
- सूर्यास्त के बाद पीपल के वृक्ष के नीचे ॐ शं शनैश्चाराय नमः:मंत्र का जप करते हुए सरसों के तेल में काले तिल डाल आटे का चौमुखा दीपक प्रज्वलित कर पीपल क सात परिक्रमा करें।
- झूठ न बोलें, चरित्र सही रखें और मांस और मदिरा का सेवन न करें।
- मंगलवार का व्रत करें। प्रत्येक मंगलवार को हनुमान मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति के आगे के पैर पैर लगे सिंदूर का तिलक कर 11 बार बजरंग बाण का पाठ करें।
Credit-अशोक कुमार शास्त्री
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