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ज्योतिष शास्त्र अनुसार विवाह में देरी के कारण और उपाय
ज्योतिष शास्त्र अनुसार विवाह में देरी के कारण और उपाय
Astrology

ज्योतिष शास्त्र अनुसार विवाह में देरी के कारण और उपाय 

ज्योतिष शास्त्र में अनेकों ऐसे कारण हैं जो जातिक के विवाह में देरी कराते हैं किंतु ज्योतिष शास्त्र के प्रमुख जो कारण है उनका विवेचन यहां पर प्रस्तुत किया जा रहा है जो इस प्रकार है।

विवाह में देरी के कारण

  1. जातक या जातिका  में देरी का सबसे प्रमुख कारण ज्योतिष शास्त्र में जातक जातिका का मांगलिक होना होता है।
  2. मांगलिक जातक का विवाह मांगलिक जातिका के साथ ही किया जाता है।
  3. जिससे दोनों की जन्म कुंडली में मांगलिक योग होने से दोनों के दांपत्य जीवन में समरसता उत्पन्न हो जाती है
  4. अन्यथा अगर एक मांगलिक और दूसरा अमांगलिक हो उससे उनके दांपत्य जीवन में बिखराव बना रहता है।
  5. इस प्रकार मांगलिक दोष के जातक जातिका का विवाह संभवत देरी से ही होता है।
  6. विवाह में देरी का दूसरा प्रमुख कारण जातक की जन्म-कुंडली में सप्तम भाव के स्वामी का बलहीन होना होता है।
  7. इस प्रकार देरी का प्रमुख तीसरा कारण जन्म कुंडली में गुरुदेव बृहस्पति का बल हीन होना होता है।
  8. गुरु बलहीन होने के कारण विवाह में देरी का कारण बनते हैं क्योंकि गुरु विशेषकर स्त्रीविवाह के कारक होते हैं।

आ रही बाधा को दूर करने के सरल उपाय

इस प्रकार हम सामान्य रूप से किसी भी जातक / जातिका की जन्म कुंडली को देख कर के जन्म कुंडली अध्ययन से विवाह में आ रही बाधाएं

या विवाह में देरी के कारणों को ज्ञात कर सकते है।

और उन विवाह में देरी

के कारण के कारक तत्वों का समुचित उपाय करके इस समस्या से निजात प्राप्त किया जा सकता है।

तो आइए जानते हैं विवाह में देरी की समस्या को दूर करने के कुछ सरल उपाय।

  1. जन्म कुंडली में विवाह में देरी का कारण मांगलिक दोष होता है तो मांगलिक दोष निवारण उपाय हमें करना चाहिए।
  2. इसके लिए जातिका प्रत्येक मंगलवार के दिन मंगल चंडिका स्त्रोत का पाठ कर सकते हैं।
  3. जातक प्रत्येक मंगलवार को हनुमान जी के सिंदूर चढ़ावे। और मंगलवार के दिन सुंदरकांड का पाठ करें।
  4. जन्म कुंडली में यदि सप्तमेश  देरी का कारण हो उस स्थिति में हमें सप्तमेश को बल प्रदान करने के ज्योतिषीय उपाय करने चाहिए।
  5. विवाह में देरी का कारण यदि गुरु हो उस स्थिति में हमें निम्न उपाय करने चाहिए।
  6. यदि जन्म कुंडली में शुक्र हो उसी स्थिति में हमें शुक्र को बल प्रदान करने के उपाय करने चाहिए।

शुक्रवार का व्रत करें।

शुक्र रत्न हीरा धारण करें। ( किसी योग्य ज्योतिषी के सलाह अनुसार )

भगवान लक्ष्मी-नारायण की अराधना करें।

  1. इसी प्रकार यदि नवमांश कुंडली में जातक/ जातिका का सप्तमेश बलहीन हो तो उसको बल प्रदान करने के ज्योतिषीय उपाय करने चाहिए।

Credit-Astrologer-Govinda Avasthi

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