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कुंडली में राहु  तथा उसके शुभ एवं अशुभ परिणाम
कुंडली में राहु तथा उसके शुभ एवं अशुभ परिणाम
Astrology

कुंडली में राहु  तथा उसके शुभ एवं अशुभ परिणाम 

वैदिक ज्योतिष में राहु और केतु को छाया ग्रह माना गया है। राहु को केवल सिर के रूप में प्रदर्शित किया जाता है वहीं केतु को बिना सिर वाले धड़ के रूप में। राहु और केतु से लोग भयभीत रहते हैं और मानते हैं कि ये ग्रह केवल लोगों का बुरा ही करते हैं, जबकि ऐसा नहीं है। दरअसल राहु व्यक्ति के पूर्व जन्मों के कर्मबंधनों को व्यक्त करता है। इसका अर्थ यह हुआ कि जो जैसा कर्म करेगा, उसको उसी के अनुसार फल प्राप्त होगा। यदि व्यक्ति ने पूर्व जन्म में शुभ और अच्छे कर्म किए होंगे तो इस जन्म में राहु शुभ ग्रहों के साथ बैठकर जातक को सुखी जीवन की सौगात देगा, लेकिन यदि जातक के कर्म पूर्व जन्म में बुरे रहे होंगे तो इस जन्म में राहु बुरे ग्रहों के साथ बैठकर जातक का जीवन कष्टमय बना देगा।

राहु की दशा-अन्तरदशा

यदि आप राहु से पीड़ित हो, आपको राहु की दशा-अन्तरदशा चल रही हो या राहु छठें, आठवें या बारहवें भाव में स्थित हो या पाप ग्रहों से युत दृष्ट हो, किसी भी प्रकार राहु कमजोर हो तो राहु की शान्ति हेतु दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए।

राहु और जातक का स्वभाव

जिस जातक की जन्म-कुंडली में राहु शुभ अवस्था में होता है वे बड़े साहसी, निडर और आत्मविश्वासी लोग होते हैं। हालांकि ऐसे लोगों के जीवन में शत्रुओं की संख्या अधिक होती है, लेकिन वे जातक का कुछ बिगाड़ नहीं पाते हैं। राहु कन्या राशि में बलवान होता है। राहु की खुद की कोई राशि नहीं होती, इसलिए वह जिस भी स्थान में होता है उस स्थान के अधिपति जैसा ही फल देता है। यदि राहु अकेला ही केंद्र या त्रिकोण में बैठकर केंद्र या त्रिकोण के स्वामी के साथ संबंध बनाता तो योगकारक बनता है। राहु तीसरे, छठे और 11वें भाव में बलवान होता है। शुक्र-राहु की युति जातक को कामुक बनाती हैं, वहीं गुरु के साथ बैठकर यह गुरु चांडाल योग बनाता  है

शुभ ग्रहों के साथ राहु की युति का फल

  1. किसी जातक की जन्मकुंडली में राहु यदि सूर्य के साथ है या सूर्य के नक्षत्र में है तो व्यक्ति को राजयोग जैसा फल मिलता है। उसके जीवन में समस्त भौतिक सुखों की प्रधानता होती है।
  2. जातक की कुंडली में राहु चंद्र के साथ हो या चंद्र के नक्षत्र में हो तो जातक खानपान की चीजों का अंतरराष्ट्रीय स्तर का व्यापारी बनता है। ऐसा जातक देश का बड़ा कृषि उत्पादक बनता है।
  3. किसी जातक की जन्मकुंडली में राहु यदि मंगल के साथ या मंगल के नक्षत्र में हो तो व्यक्ति पुलिस, सेना आदि में बड़ा अफसर बनता है। ऐसा जातक कृषि के क्षेत्र में भी खूब तरक्की करता है।
  4. राहु यदि बुध के साथ या बुध के नक्षत्र में हो तो व्यक्ति को एक सफल बिजनेसमैन बनाता है। ऐसा जातक प्रबंधन या उच्च शिक्षा के क्षेत्र में ख्यात होता है और बड़ा सम्मान हासिल करता है।
  5. जन्मकुंडली में राहु यदि बृहस्पति के साथ या बृहस्पति के नक्षत्र में हो तो व्यक्ति राजनीति के क्षेत्र में सफलता अर्जित करता है। यदि जातक राजनीति में ना जाए तो वह आध्यात्मिकता के क्षेत्र में शीर्ष हासिल करता है। ऐसा जातक बड़ा और सम्मानित संत बनता है।
  6. जन्म कुंडली में यदि शुभ अवस्था वाले शुक्र के साथ राहु हो तो जातक को सुंदर और आकर्षक शरीर का मालिक बनाता है। ऐसे योग वाली स्त्रियां खूबसूरत अभिनेत्री बनती हैं। सौंदर्य स्पर्धाओं में ऐसे स्त्री-पुरुष नेशनल-इंटरनेशनल लेवल पर सम्मान अर्जित करते हैं।
  7. शनि के साथ बैठकर राहु अच्छे फल नहीं देता है। दोनों ग्रहों की युति से शापित दोष का निर्माण होता है। इससे जातक का जीवन कष्टमय रहता है। मेहनती होने के बाद भी जातक जीवन में खाली हाथ ही रह जाता है। ऐसी स्थिति में शनि को शांत करने की जरूरत होती है।

शिव साधना से दूर होती है राहु की पीड़ा

जिन लोगों को राहु परेशानी दे रहा हो। अशुभ फल मिल रहे हों, उन्हें नियमित रूप से शिव आराधना करना चाहिए। किसी प्राण प्रतिष्ठित शिव मंदिर में प्रतिदिन शिवजी पर एक लोटा जल अर्पित करें। बेल पत्र, धतूरा और प्रत्येक शनिवार और मंगलवार को काले तिल अर्पित करने से राहु की पीड़ा शांत होती है। कुत्तों को रोटी खिलाने से राहु की शांति होती है।

Credit – माँ ललिताम्बा ज्योतिष सेवा केंद्र

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