Pradosh vrat : जानिए क्या है ? शनि प्रदोष व्रत और पूजा विधि

Dosh Nivaran

Pradosh vrat : जानिए क्या है ? शनि प्रदोष व्रत और पूजा विधि

By pavan

July 26, 2024

वर्षभर में हर महीने में दो बार एक शुक्ल और दूसरा कृष्ण पक्ष में Pradosh का vrat आता है। यह व्रत त्रयोदशी तिथि के दिन रखा जाता है। अगर किसी भी जातक को भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिये ये व्रत अवशय रखना चाहिये!

ऐसा माना जाता है की प्रदोष काल में शिव जी साक्षात शिवलिंग पर अवतरित होते हैं

और इसीलिए इस समय शिव का स्मरण करके उनका पूजन किया जाए तो उत्तम फल मिलता है।

शनिवार को त्रयोदशी को आने वाले Pradosh vrat को शनि प्रदोष(shani pradosh) कहा जाता है

शनि प्रदोष व्रत के दिन शनि भगवान की पूजा करने का विधान बताया जाता है।

आज के दिन काला तिल, काला वस्त्र, तेल, उड़द शनि को अर्पित किए जाते हैं।

माना जाता है कि यह सब चीजें शनि देव को बेहद प्रिय हैं। यही वजह है कि आज के खास दिन इन सब चीजों से शनि की पूजा होती है।

यह व्रत खास तौर पर शनि की दशा को दूर करने के लिए किया जाता है।

अगस्त को शनि प्रदोष है। सावन माह में शनि प्रदोष व्रत का योग शुभ माना जाता है। मान्यता है कि शनि प्रदोष का व्रत रखने से शनि दोष दूर होने के साथ ही भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। ऐसे में आने वाला प्रदोष व्रत उन लोगों के लिए बेहद लाभकारी है, जो शनि की महादशा और साढ़ेसाती से परेशान हैं।

सावन माह में calendars में अब ऐसा शुभ संयोग 2027 में बनेगा।

शास्त्रों में भगवान शिव को शनि देव का गुरु और आराध्य बताया गया है।

इस कारण सावन के महीने में शनि देव और भगवान शिव की पूजा से मनोकामना पूरी होती हैं।

प्रदोष व्रत को भगवान शिव की साधना के लिए फलदायी बताया गया है।

Pradosh vrat पूजा-विधि

भगवान शिव जी एवं माता पार्वती की पूजा घर अथवा मंदिर में जाकर फल, फूल, धूप-दीप, चंदन, अक्षत, धतूरा आदि से करें।

अंत में आरती-अर्चना कर महादेव से सुख, शांति और समृद्धि की कामना करें।

दिन भर उपवास रखें।शाम में आरती अर्चना के बाद फलाहार करें।

शनि Pradosh vrat के दिन शनि भगवान की पूजा करने का विधान बताया जाता है।

आज के दिन काला तिल, काला वस्त्र, तेल, उड़द शनि को अर्पित किए जाते हैं।

माना जाता है कि यह सब चीजें शनि देव को बेहद प्रिय हैं। यही वजह है

कि आज के खास दिन इन सब चीजों से शनि की पूजा होती है।

यह व्रत खास तौर पर शनि के खराब बल व शनि की दशा  के अशुभ  फलों को दूर करने के लिए किया जाता है।