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jitiya paran time, महत्व, शुभ मुहूर्त, व्रत विधि
jitiya paran time, महत्व, शुभ मुहूर्त, व्रत विधि
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jitiya paran time, महत्व, शुभ मुहूर्त, व्रत विधि 

जितिया व्रत जिसे जीवित्पुत्रिका व्रत भी कहा जाता है, मुख्य रूप से उत्तर भारत के बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में मनाया जाने वाला एक पवित्र पर्व है। यह व्रत खासतौर पर माताओं द्वारा अपने पुत्रों की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिए किया जाता है। जितिया व्रत की खास बात यह है jitiya paran time माताएं पूरे दिन निर्जला उपवास करती हैं और जीमूतवाहन की पूजा करती हैं, जो इस व्रत से जुड़ी प्रमुख पौराणिक कथा के नायक हैं।

जितिया व्रत का महत्व

इसका मुख्य उद्देश्य माताओं द्वारा अपने पुत्रों की लंबी आयु के लिए भगवान से प्रार्थना करना है। पौराणिक कथा के अनुसार, जीमूतवाहन एक धर्मनिष्ठ राजा थे जिन्होंने अपनी प्रजा और सांपों की रक्षा के लिए अपना जीवन अर्पित किया था। उनका यह त्याग माताओं के लिए प्रेरणा है, जो अपनी संतानों की रक्षा और उनकी समृद्धि के लिए इस व्रत का पालन करती हैं।

यह व्रत करुणा, निष्ठा और बलिदान का प्रतीक है, और इसे करने से संतान के जीवन में संकट टलते हैं, साथ ही उन्हें लंबी उम्र और स्वस्थ जीवन प्राप्त होता है।

जितिया व्रत 2024 में कब है? (jitiya paran time)

jitiya paran time हर साल अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। 2024 में जितिया व्रत निम्नलिखित तिथियों पर पड़ेगा:

  1. व्रत की तिथि: 6 अक्टूबर 2024 (रविवार)
  2. अष्टमी तिथि प्रारंभ: 6 अक्टूबर 2024, सुबह 05:00 बजे
  3. अष्टमी तिथि समाप्त: 7 अक्टूबर 2024, सुबह 03:00 बजे

जितिया व्रत की पूजा विधि

पहला दिन (नहाय-खाय):

  1. जितिया व्रत के पहले दिन यानी सप्तमी तिथि को नहाय-खाय मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं स्नान कर शुद्ध और सात्विक भोजन ग्रहण करती हैं। भोजन में सिर्फ एक बार अन्न लिया जाता है, और यह शरीर व मन की शुद्धि के लिए होता है।

दूसरा दिन (मुख्य व्रत का दिन):

  1. अष्टमी तिथि को व्रत का मुख्य दिन होता है। इस दिन महिलाएं निर्जला उपवास रखती हैं, यानी पूरे दिन बिना जल और अन्न ग्रहण किए व्रत करती हैं।
  2. इस दिन व्रत करने वाली महिलाएं जीमूतवाहन की पूजा करती हैं और उनकी कथा सुनती हैं। इस पूजा का उद्देश्य संतान की लंबी आयु और सुरक्षा के लिए भगवान से प्रार्थना करना होता है।
  3. जीमूतवाहन की पूजा के दौरान उन्हें फल, फूल, धूप, दीप आदि अर्पित किए जाते हैं।

तीसरा दिन (व्रत का पारण):

  1. नवमी तिथि को जितिया व्रत का पारण होता है। व्रत का पारण करने के लिए माताएं पहले स्नान करके जीमूतवाहन और अन्य देवी-देवताओं की पूजा करती हैं।
  2. पूजा के बाद व्रत समाप्त होता है और फिर भोजन ग्रहण किया जाता है।

 जितिया व्रत का शुभ मुहूर्त 2024(Auspicious time of Jitiya Vrat 2024)

व्रत की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 6 अक्टूबर 2024 को सूर्योदय के समय से लेकर दिन भर का समय है।

यह समय पूजा के लिए उपयुक्त होता है। इस दौरान महिलाएं पूरे श्रद्धा भाव से पूजा करती हैं

और भगवान जीमूतवाहन से अपनी संतान के लिए आशीर्वाद मांगती हैं।

 जितिया का पारण कितने बजे है? (Jitiya ka Paran Kitne Baje Hai?)

2024 में नवमी तिथि 7 अक्टूबर को है। पारण का सही समय इस दिन सुबह के समय होता है।

  • जितिया का पारण समय: 7 अक्टूबर 2024 को प्रातः 09:30 बजे के बाद

पारण करने से पहले व्रतधारी महिलाएं स्नान करके जीमूतवाहन की पूजा करती हैं

 जितिया व्रत की कथा

 पौराणिक कथा के अनुसार, जीमूतवाहन ने गरुड़ पक्षी द्वारा नागों खाने से बचाने के लिए अपना बलिदान दिया था।

जीमूतवाहन के इस त्याग और धर्मपालन को याद करते हुए, माताएं इस व्रत का पालन करती हैं

ताकि उनके पुत्र सुरक्षित और लंबी आयु प्राप्त कर सकें। इस कथा के दौरान माता जीमूतवाहन की पूजा करती हैं

 निष्कर्ष

व्रत माताओं के लिए एक महान पर्व है, माता संतान की लंबी आयु के लिए भगवान से प्रार्थना करती हैं।

इस व्रत की विधि कठिन होती है, लेकिन माताओं की संतान के प्रति प्रेम और बलिदान को दर्शाती है।

जितिया व्रत 6 अक्टूबर को है, और इसका पारण 7 अक्टूबर को प्रातः 09:30 बजे के बाद किया जाएगा।

व्रत को श्रद्धा और विश्वास के साथ करने से माताओं को अपनी संतान के लिए भगवान का आशीर्वाद मिलता है।

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