कुंडली में बिजनेसमैन बनने के योग के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार दशम भाव को कर्म भाव कहा जाता है। जिस व्यक्ति का दशम भाव मजबूत होता है। उसे बिजनेस में उतनी ही सफलता मिलती है। तो आइए जानते हैं कुंडली में ऐसे योगों के बारे में जो किसी भी व्यक्ति को सफल बिजनेसमैन बना सकते हैं। वर्तमान समय में हर कोई बिजनेस करना चाहता है चाहे वो छोटा ही क्यों न हो, क्योंकि बिजनेस अलग होता है। कई बार जीवन में हमें अपने काम के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है। लेकिन फिर भी हम उस काम को शुरू कर देते हैं। बिना ये सोचे कि हम उसमें सफल होंगे या नहीं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि किसी की भी कुंडली देखकर ये आसानी से पता लगाया जा सकता है कि वो व्यक्ति उस बिजनेस में सफल होगा या असफल तो आइए जानते हैं कुंडली में ऐसे योगों के बारे में जो किसी को भी सफल बिजनेसमैन बनने में मदद कर सकते हैं।
कुंडली में सफल बिजनेस मैन बनने के योग
- अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में बृहस्पति दशम भाव में बैठा हो तो ये योग बहुत ही शुभ माना जाता है।
इस योग को केन्द्रादित्य योग कहते हैं। ऐसे जातक को अपने व्यापार में अपार सफलता मिलती है। लेकिन यह योग नीच या शत्रु राशि में नहीं बन रहा हो।
- यदि कुंडली के कर्म स्थान पर बुध और सूर्य बैठे हों तो बुधादित्य बनाते हैं या इनमें से कोई एक बैठा हो। इसके अलावा यदि इन दोनों में से किसी एक ग्रह की दृष्टि भी हो तो जातक को अपने व्यापार में अधिक लाभ मिलता है।
- यदि किसी जातक की कुंडली में मंगल दसवें भाव यानि मकर राशि में बैठा हो तो ऐसे जातक को व्यापार में सफलता और विदेश यात्रा मिलती है।
- यदि जातक की कुंडली में गुरु और सूर्य या चंद्रमा और गुरु दसवें भाव में हों तो यह बहुत शुभ माना जाता है। इस योग को वर्ग योग कहते हैं। इस प्रकार के योग वाले जातक को अपने जीवन में सभी प्रकार की सुख सुविधाएं प्राप्त होती हैं।
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सभी ग्रहों की सप्तम दृष्टि होती है। यदि जन्म कुंडली के दसवें भाव में बृहस्पति, सूर्य या मंगल की दृष्टि हो तो दसवें भाव को अत्यधिक बल प्राप्त होता है। जिसका उसे अच्छा लाभ मिल सकता है।
- यदि किसी जातक की कुंडली में राहु दशम भाव यानि मिथुन राशि में बैठा हो या दशम भाव पर अपनी दृष्टि डाले तो व्यक्ति सफल व्यापारी बनता है। वैसे तो शनि, राहु और केतु अशुभ ग्रह माने जाते हैं। लेकिन शुभ योग में आने पर इनकी दृष्टि शुभ फल देती है।
- कुंडली के सप्तम भाव से कर्म का निर्धारण होता है। सप्तम भाव को व्यापार और साझेदारी का भाव भी कहते हैं।
- यदि कुंडली के सप्तम भाव में बुध बैठ जाए तो व्यक्ति अवश्य ही सफल व्यापारी बनेगा। जातक के मन में व्यापार के लिए नए-नए विचार आते रहेंगे।
- यदि कुंडली के सप्तम भाव में बुध और शुक्र एक साथ बैठ जाएं तो इस योग को लक्ष्मी नारायण योग कहते हैं। ऐसे व्यक्ति को व्यापार से धन की प्राप्ति होती है और जीवन की सभी सुख-सुविधाएं प्राप्त होती हैं।
- यदि कुंडली के सप्तम भाव में शनि, केतु, राहु या मंगल जैसे पाप ग्रह की दृष्टि हो तो व्यक्ति को अपने व्यवसाय में अत्यधिक तनाव का सामना करना पड़ता है।
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