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Govardhan Puja 2024 Date: समय, शुभ मुहूर्त, महत्त्व, कथा और पूजा विधि

By pavan

October 22, 2024

Govardhan Puja 2024, जिसे अन्नकूट पूजा भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह त्योहार दिवाली के अगले दिन मनाया जाता है और भगवान कृष्ण के गोवर्धन पर्वत उठाने की प्रसिद्ध कथा से संबंधित है। इस दिन प्रकृति, पर्यावरण और समृद्धि के लिए आभार व्यक्त किया जाता है। साथ ही भगवान कृष्ण की कृपा के लिए पूजा-अर्चना की जाती है।

गोवर्धन पूजा 2024 की तारीख और समय (Govardhan Puja date and time)

Govardhan Puja कब है?

साल 2024 में Govardhan Puja  2 नवंबर को मनाई जाएगी। यह पर्व दिवाली के ठीक एक दिन बाद आता है

और पूरे देश में विशेष रूप से उत्तर भारत में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

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गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?(Govardhan Puja 2024 Muhurat)

Drik Panchang के अनुसार 2024 में Govardhan Puja 2024 का शुभ मुहूर्त 2 नवंबर 2024 को सुबह 6 बजकर 16 मिनट से 8 बजकर 21 मिनट तक रहेगा। इस समय के दौरान पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है,

और परिवार के कल्याण और समृद्धि के लिए यह एक महत्वपूर्ण अवसर होता है।

गोवर्धन पूजा क्यों मनाई जाती है?(Why is Govardhan Puja celebrated?)

Diwali के बाद Govardhan Puja का महत्व

Govardhan Puja का दिवाली के बाद मनाया जाना बहुत विशेष है। इस पर्व के पीछे पौराणिक कथा यह है कि भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाकर इंद्र देव के प्रकोप से ब्रजवासियों की रक्षा की थी। इस पूजा का संदेश यह है कि हमें प्रकृति की रक्षा करनी चाहिए और उसका सम्मान करना चाहिए।

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Govardhan Puja की कथा

भगवान कृष्ण और Govardhan पर्वत की कहानी

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार गोकुल के लोग इंद्र देव की पूजा कर रहे थे, लेकिन भगवान कृष्ण ने उन्हें गोवर्धन पर्वत की पूजा करने की सलाह दी। इंद्र देव इस बात से नाराज हो गए और गोकुल पर भीषण वर्षा की। तब भगवान कृष्ण ने अपनी छोटी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर गोकुलवासियों को वर्षा से बचाया। तब से इस पर्व की परंपरा चली आ रही है, जिसमें गोवर्धन पर्वत और भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है।

Govardhan Puja कैसे की जाती है?(Govardhan Puja vidhi)

पूजा की विधि

Govardhan Puja में गोबर से गोवर्धन पर्वत का प्रतीकात्मक निर्माण किया जाता है। इसे फूलों, रंगों और दीयों से सजाया जाता है। इसके बाद, भगवान कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है। विशेष मंत्रों का उच्चारण किया जाता है, और घरों में अन्नकूट का प्रसाद तैयार किया जाता है।

Govardhan पर्वत की प्रतीकात्मक पूजा

इस पूजा में गायों और बैलों की भी पूजा की जाती है, जो कृषि और ग्रामीण जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।

इसे ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण माना जाता है।

Govardhan Puja सामग्री

Puja के लिए जिन सामग्रियों की आवश्यकता होती है, उनमें गोबर, दीपक, फूल, हल्दी, चावल, मिठाई और अन्नकूट का प्रसाद शामिल होते हैं।

गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत का आकार बनाया जाता है और उस पर दीप जलाकर पूजा की जाती है।

Govardhan Puja का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

Govardhan Puja का धार्मिक महत्त्व यह है कि यह पर्व प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करता है। भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत की पूजा का संदेश देकर यह सिखाया कि हमें धरती, पानी और पर्यावरण की देखभाल करनी चाहिए। यह पर्व भारतीय कृषि संस्कृति के भी निकट है, क्योंकि इसमें अनाज और फसलों का पूजन किया जाता है।

Diwali और Govardhan Puja के बीच संबंध

दिवाली और गोवर्धन पूजा का गहरा संबंध है। दिवाली के एक दिन बाद गोवर्धन पूजा मनाई जाती है, जो यह दर्शाता है कि प्रकाश पर्व के बाद हम प्रकृति को धन्यवाद देते हैं। दिवाली धन और समृद्धि का प्रतीक है, जबकि गोवर्धन पूजा प्रकृति और पृथ्वी के प्रति सम्मान की अभिव्यक्ति है।

Govardhan Puja में अन्नकूट महोत्सव

अन्नकूट प्रसाद का महत्त्व

अन्नकूट महोत्सव में अनेकों प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं, जिन्हें भगवान को भोग लगाया जाता है।

इसके बाद यह प्रसाद सभी भक्तों के बीच बांटा जाता है। अन्नकूट का मतलब होता है

अनाज का ढेर, और यह हमारे जीवन में भोजन की महत्ता को दर्शाता है।

Govardhan Puja और प्रकृति

पर्यावरण संरक्षण और Govardhan पूजा

Govardhan Puja प्रकृति के प्रति हमारी जिम्मेदारी को याद दिलाने वाला पर्व है।

यह पूजा हमें सिखाती है कि हमें पर्यावरण का सम्मान करना चाहिए और उसकी रक्षा करनी चाहिए।

गोवर्धन पर्वत को प्रकृति का प्रतीक माना जाता है,

और इसकी पूजा इस बात का प्रतीक है कि हमें प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करनी चाहिए।

2024 में Govardhan Puja कैसे मनाई जाए?

2024 में Govardhan Puja के अवसर पर आप घर पर पारंपरिक विधि से पूजा कर सकते हैं।

घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाएं और उसे फूलों और दीपों से सजाएं।

गोवर्धन पूजा के साथ-साथ अन्नकूट का आयोजन करें और प्रसाद बनाकर उसे सभी में वितरित करें।

यह पूजा परिवार के सभी सदस्यों के साथ मिलकर करने से विशेष फलदायी होती है।

Govardhan Puja के विशेष अनुष्ठान

Puja के दौरान विशेष अनुष्ठानों में गोवर्धन पर्वत का निर्माण, गायों की पूजा, और अन्नकूट का भोग लगाया जाता है।

इस दिन घर में सफाई करके दीप जलाने और भगवान कृष्ण के भजनों का गान करने से वातावरण पवित्र हो जाता है।

Govardhan Puja 204 से जुड़े प्रचलित रीतिरिवाज

भारत के विभिन्न हिस्सों में Govardhan Puja के अलग-अलग रीति-रिवाज होते हैं। उत्तर भारत में गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है

गुजरात और राजस्थान में अन्नकूट का विशेष आयोजन होता है। इस दिन घरों में तरह-तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं

और भगवान को भोग लगाकर लोगों के बीच प्रसाद बांटा जाता है।

FAQs (सामान्य प्रश्न)

  1. Govardhan Puja 2024 की तारीख क्या है? Govardhan Puja 2024 में 2 नवंबर को मनाई जाएगी, जो दिवाली के एक दिन बाद आता है।
  2. Govardhan Puja का शुभ मुहूर्त क्या है? साल 2024 में इसका शुभ मुहूर्त सुबह 6:00 बजे से 8:30 बजे तक रहेगा।
  3. Govardhan Puja क्यों मनाई जाती है? यह पूजा भगवान कृष्ण द्वारा इंद्र देव से गोकुलवासियों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत उठाने की कथा से जुड़ी है।
  4. Govardhan Puja में अन्नकूट का क्या महत्व है? अन्नकूट महोत्सव में विभिन्न प्रकार के भोजन बनाकर भगवान को अर्पित किया जाता है। यह अन्न और समृद्धि का प्रतीक है।
  5. Govardhan Puja में कौन-कौन से अनुष्ठान किए जाते हैं? इस दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा, गायों की पूजा, अन्नकूट प्रसाद का आयोजन और दीप जलाने के अनुष्ठान किए जाते हैं।