गणेश चतुर्थी हिंदू धर्म में एक प्रमुख और लोकप्रिय त्योहार है, जो भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता, बुद्धि और समृद्धि के देवता माना जाता है। यह त्योहार हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है, जो अगस्त या सितंबर के महीने में आती है। इस दिन भक्त भगवान गणेश की मूर्ति को घर या पंडाल में लाते हैं और उनकी विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। गणेश चतुर्थी का उत्सव दस दिनों तक चलता है और अंतत चतुर्दशी के दिन गणपति विसर्जन किया जाता है।
गणेश चतुर्थी का महत्व
गणेश चतुर्थी का धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्व है। इसे भगवान गणेश की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए मनाया जाता है ताकि जीवन में आने वाली बाधाओं का निवारण हो सके। भक्त इस दिन गणेश जी की पूजा करके उनसे बुद्धि, ज्ञान, समृद्धि और विघ्नों से मुक्ति की कामना करते हैं। इसके अलावा, यह पर्व लोगों को एकजुट करने और भक्ति का प्रसार करने का भी प्रतीक है।
गणेश स्थापना का शुभ मुहूर्त
गणेश चतुर्थी के दिन गणपति जी की स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त का विशेष महत्व होता है। आमतौर पर चतुर्थी तिथि का प्रारंभ और समाप्ति का समय देखकर गणेश स्थापना की जाती है। पूजा का सबसे उत्तम समय सुबह और दोपहर का होता है।
यदि आप 2024 में गणेश चतुर्थी मना रहे हैं, तो आप उस दिन के पंचांग के अनुसार शुभ मुहूर्त में गणपति जी को घर ला सकते हैं। आमतौर पर यह सुबह 11:00 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक का समय होता है, पंचांग के अनुसार 7 सितंबर 2024 को गणेश चतुर्थी की पूजा और मूर्ति स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर से शुरू हो रहा है। इस मुहूर्त का समापन उसी दिन दोपहर के 1 बजकर 30 मिनट पर होगा।
गणेश जी की आरती
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
पूजन विधि
गणेश जी की स्थापना और पूजा विधि बहुत ही पवित्र और नियमबद्ध होती है। यहां पूजा की विधि दी गई है:
- स्नान और
शुद्धिकरण:
सबसे पहले घर की और पूजा स्थल की सफाई करें। स्वयं स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
-
गणेश जी की मूर्ति स्थापना:
पूजा स्थल पर एक साफ कपड़ा बिछाएं और उस पर गणेश जी की मूर्ति को स्थापित करें।
-
आवाहन:
मंत्रों के द्वारा भगवान गणेश का आवाहन करें। गणपति मंत्र “ॐ गं गणपतये नमः” का जाप करें।
-
पूजन सामग्री अर्पण:
पुष्प: भगवान गणेश को लाल फूल अर्पित करें।
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