सातवें घर में बृहस्पति और मंगल प्रभाव

Dosh Nivaran

सातवें घर में बृहस्पति और मंगल प्रभाव

By pavan

April 30, 2024

वैदिक ज्योतिष के अनुसार सातवें घर से पति-पत्नी, सेक्स, पार्टनरशिप, लीगल कॉन्ट्रैक्ट आदि का विचार कर सकते हैं इस भाव को केंद्र स्थान और मारक भाव भी कहा जाता है इस घर के बारे में और विस्तार से बात करें तो पहला घर खुद के व्यक्तित्व का है और उसके विपरीत सातवां घर विपरीतलिंगी और उससे जुड़े दूसरे लोगों का है। ये जुड़ाव व्यावसायिक भागीदारी का भी हो सकता है। कानूनी साझेदारी का विचार भी इस घर से किया जा सकता है। तो आइए जानते हैं सातवें घर में बृहस्पति और मंगल के प्रभाव

 बृहस्पति और मंगल के सकारात्मक प्रभाव

  1. कुंडली के सातवें घर में बृहस्पति और मंगल अगर बलवान होकर बैठे हों तो व्यक्ति को कई क्षेत्रों में महारत दे सकता है।
  2. ऐसा व्यक्ति राजनीति में प्रसिद्धि प्राप्त कर सकता है। व्यवसायिक बुद्धि के मालिक ऐसे व्यक्ति अपने जीवन में सफलता हासिल करते हैं।
  3. ऐसा व्यक्ति बहुत अच्छा शिक्षक या वकील बन सकता है। व्यक्ति में अद्भुत नेतृत्व क्षमता दे सकता है
  4. एक चुम्बकीय व्यक्तित्व का धनी बना सकता है, जनता उसकी फॉलोवर बन जाती है, उसके इशारे पर काम करती है।
  5. पार्टनरशिप या लीगल डाक्यूमेंट्स में ऐसा व्यक्ति बहुत ही चतुर हो सकता है एक कुशल नेगोसिएटर हो सकता है
  6. किसी सरकारी पद पर कार्य करने वाला हो सकता है।
  7. आय के साधन एक से ज्यादा हो सकते हैं। ऐसे लोगों का पब्लिक रिलेशन बहुत अच्छा हो सकता है।
  8. शिक्षा के क्षेत्र में सेवा करके या किसी शिक्षण संस्थान को चलाने से बहुत फायदा हो सकता है।
  9. अच्छी सोशल नेटवर्किंग और प्रभावशाली वाणी के कारण ऐसे लोग राजनीति में जल्दी सफलता पा सकते हैं।
  10. मीडिया जगत से लाभ कमा सकते हैं। भाई बहनो से सहयोग प्राप्त होता है।
  11. ऐसे लोग संघर्षों से डरने वाले नहीं होते बल्कि अपने पराक्रम से परिस्थितियों पर काबू पाना जानते हैं
  12. लेकिन दूसरे लोगों के विचारों को बहुत ज्यादा अहमियत नहीं देता चाहे वो बिज़नेस पार्टनर हो या लाइफ पार्टनर |
  13. ऐसे में वाद-विवाद होने की स्थिति बनी रह सकती है और रिश्तों का एक दुखद अंत हो सकता है।
  14. आपको सलाह दी जाती है कि अपने जीवन साथी का और महिलाओं का सम्मान हर हालत में करें।

नकारात्मक प्रभाव

  1. कुंडली के सातवें घर में बृहस्पति और मंगल अगर कमजोर अवस्था में हों और उसके नकारात्मक प्रभाव की बात करें तो व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में परेशानी आ सकती है।
  2. जीवनसाथी से अनबन बनी रह सकती है। परिवार और कुटुंब में तनाव बना रह सकता है विरासत के लिए झगड़ा हो सकता है, ऐसे व्यक्ति कठोर वाणी बोलकर सबको नाराज कर सकते है।
  3. जातक अपनी ऊर्जा का घोर दुरूपयोग कर सकता है। व्यक्ति को प्रेम की अभिव्यक्ति के नाम पर वासना में डुबो सकता है, उसका पूरा जीवन अपने दैहिक सुख के लिए ही बन जाता है।
  4. खुद को असहाय, पंगु और पश्चाताप से घिरा हुआ महसूस कर सकता है, असामाजिक कार्यों में लिप्त हो सकता है
  5. बात-बात पर झगड़ने वाला और पलायनवादी हो सकता है, एक तरह से बेचारगी की स्थिति में चला जाता है।
  6. नौकरी में परेशानी हो सकती है। ऐसे लोग दूसरों से कटे-कटे से रहना पसंद कर सकते हैं।
  7. भाई-बहनों और साझेदारों से विवाद हो सकता है। साझेदारी में नुक्सान हो सकता है।
  8. ऐसे लोग कठोर वाणी बोलने वाले हो सकते हैं। छोटी-छोटी बातों से चिंता में आ सकते हैं या निराशा में जा सकते हैं।
  9. पारिवारिक जीवन अस्त-व्यस्त हो सकता है और बुरे व्यसनों में लिप्त हो सकता है।
  10. विवाह जैसी संस्था में उसका भरोसा न के बराबर होता है। ऐसा व्यक्ति सिर्फ अपने सुख के लिए जीता है।
  11. आपको निराशावाद, डायबिटीज, मोटापे की बीमारी और यौन रोगों से सावधान रहने की जरुरत है।

निष्कर्ष

ग्रह कोई भी हो उसके अंतिम परिणाम के लिए उसकी राशि, अंश, उस पर अन्य ग्रहों की दृष्टि, उसके साथ अन्य ग्रहों कि युति, उसका बल आदि बहुत सारे ऑस्पेक्ट देखने जरुरी हैं।

सकारात्मक परिणाम तभी मिलते हैं जब कुंडली में दूसरे ग्रहों का साथ मिल रहा हो।

नकारात्मक परिणाम भी तभी मिलता है जब दूसरे ग्रहों का साथ नहीं मिल रहा हो।