“जब कलियुग का नाम सुनते ही रोने लगी धरती,उसके आगमन मात्र से ही चीत्कार उठी , क्यो ?, क्या है कलियुग ? कैसे ओर कब आया धरा पर , साथ ही कहाँ है इसके निवास पृथवी पर जानिए!
★वेद पुराणों में सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग का उल्लेख हैं। कलियुग को छोड़कर बाकी तीनों युगों में भगवान ने अनेक अवतार लिए एवं लोक कल्याण के लिए धरती का उद्धार किया और पाप का नाश किया। किंतु कलियुग में तो केवल अहंकार, ईष्या, बुराई, लालच, पाप और वासना ही दिखाई देती है। मनुष्य के जीवन के लिए कलियुग को श्राप कहा जाता है जिसे इसमें जन्मा हर मनुष्य भुगत रहा है!
विनाशकारक कलियुग
★तीन पवित्र युगों के बाद विनाशकारक कलियुग के आगमन का क्या कारण था, यह हर कोई जानना चाहता है। कोई कहता है पृथ्वी के विनाश के लिए कलियुग का अवतरण हुआ तो किसी का मानना है कि कलियुग में पाप और पापियों के विनाश के लिए भगवान दोबारा धरती पर अवतार लेंगें !
कलियुग के धरती पर आगमन का कारण !
★कलियुग के धरती पर आने की एक पौराणिक कथा पांडवों के महाप्रयाग से जुड़ी है। महाभारत युद्ध के बाद पांडव पुत्र युधिष्ठिर अपना पूरा राजपाट परीक्षित को सौंपकर अपने भाइयों और द्रौपदी के साथ महाप्रयाण हेतु हिमालय की ओर निकल गए थे।
★उनके साथ निकले बैल के रूप में स्वयं धर्म एवं गाय के रूप में बैठी पृथ्वी देवी से सरस्वती नदी के किनारे मिले। बैल से मिलने पर गाय रूपी पृथ्वी की आंखों में आंसू भर आए। यह देखकर बैल ने पूछा कि आपके दुख का कारण कहीं मेरा एक केवल एक पैर तो नहीं अथवा आप इस बात से विचलित हैं कि अब आपके ऊपर बुराई और पाप का राज होगा। अपने दुख का कारण बताते हुए पृथ्वी ने कहा कि श्रीकृष्ण के स्वधाम जाने के पश्चात् मुझ पर अब कलियुग का साया है। श्रीकृष्ण की उपस्थिति में धरती पर सत्य, धर्म, पवित्रता और प्रेम बरसता था किंतु अब मेरा उद्धार करने के लिए कोई नहीं है।
धर्म और पृथ्वी!
★धर्म और पृथ्वी के वार्तालाप के बीच कलियुग आ पहुंचा और उन दोनों पर प्रहार करने लगा। उस समय राजा परीक्षित वहां से गुजर रहे थे। कलियुग को पृथ्वी और धर्म को मारते देख वह कलियुग पर बहुत क्रोधित हुए और उसका वध करने के लिए आगे बढ़े।
★तभी कलियुग भयभीत होकर अपने राजसी वेश को उतार कर राजा परीक्षित के चरणों में गिर गया और क्षमा याचना करने लगा। तब राजा परीक्षित ने कलियुग से कहा कि अधर्म, पाप, झूठ, चोरी, कपट, दरिद्रता आदि अनेक उपद्रवों का मूल कारण केवल तू ही है। तू मेरे राज्य से अभी निकल जा और फिर कभी लौटकर मत आना। यह बात सुनकर कलियुग ने राजा से विनती करते हुए कहा कि संपूर्ण पृथ्वी ही आपका राज्य है, ऐसे में मुझे शरण दे!
कलियुग की शरण
★कलियुग की शरण एवं रहने के स्थान पर विचार करते हुए राजा परीक्षित ने कहा कि झूठ, द्यूत, मद्यपान, परस्त्रीगमन और हिंसा में तू रह सकता है। कलियुग के अतिरिक्त स्थान की प्रार्थना पर राजा परीक्षित ने उसे स्वर्ण के रूप में पांचवां स्थान भी प्रदान किया। स्वर्ण रूपी स्थान मिलते ही कलियुग ने राजा परीक्षित के सोने के मुकुट में वास कर लिया। इस प्रकार से कलियुग प्रत्यक्ष तौर पर तो हमारे बीच नहीं है किंतु वह अनेक नकारात्मक भावों के रूप में हमारे आसपास ही है।
क्या है कलियुग का सत्य
कलियुग में मनुष्य पाप भावों से घिरा रहेगा। वह किसी का मान-सम्मान नहीं करेगा एवं लालच, सत्ता और पैसे का बोलबाला होगा। संभोग ही जिंदगी की सबसे बड़ी जरूरत होगी। कोई भी मनुष्य नि:स्वार्थ भाव से किसी की सेवा नहीं करेगा।।
★पाप, असत्य, अन्याय, चोरी, हिंसा, व्यभिचार, धूर्तकर्म ,अथार्त धर्म के अंतर्गत जो भी पाप कर्म माने गए है उनके साथ स्वर्ण में ही कलिवास होता है ,अत इनसे दूर रह जीवन को दुखो से दूर रखें ! अस्तु!!
Post Credit – Ashok Agarwal from ज्योतिष विज्ञान ऐंवम रहस्य
Related posts
Subscribe for newsletter
* You will receive the latest news and updates on your favorite celebrities!
सरकारी नौकरी का ग्रहों से संबंध तथा पाने का उपाय
सरकारी नौकरी पाने की कोशिश हर कोई करता है, हलांकि सरकारी नौकरी किसी किसी के नसीब में होती है। अगर…
जानिए कैसे ग्रह आपकी समस्याओं से जुड़े हैं
जीवन में छोटी-मोटी परेशानियां हों तो यह सामान्य बात है, लेकिन लगातार परेशानियां बनी रहें या छोटी-छोटी समस्याएं भी बड़ा…
Vish yog का जीवन पर प्रभावVish yog का जीवन पर प्रभाव
वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली में Vish yog और दोष व्यक्ति के जीवन पर सीधा प्रभाव डालते हैं, यदि किसी…
सातवें घर में बृहस्पति और मंगल प्रभाव
वैदिक ज्योतिष के अनुसार सातवें घर से पति-पत्नी, सेक्स, पार्टनरशिप, लीगल कॉन्ट्रैक्ट आदि का विचार कर सकते हैं इस भाव…
Kartik purnima date कब है? जानें पूजन का शुभ समयऔर विधि
कार्तिक पूर्णिमा (Kartik purnima 2024) Kartik purnima, हिंदू धर्म में अत्यधिक पवित्र और महत्वपूर्ण पर्व है। इसे विशेष रूप से…
chhath puja date 2024: , शुभ मुहूर्त, व्रत नियम, पूजा विधिऔर कथा
chhath puja, जिसे ‘सूर्य षष्ठी व्रत’ भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। यह मुख्य…
Govardhan Puja 2024 Date: समय, शुभ मुहूर्त, महत्त्व, कथा और पूजा विधि
Govardhan Puja 2024, जिसे अन्नकूट पूजा भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह त्योहार दिवाली…
Bhai Dooj 2024 Date कब है? Subh Muhurat and Time
Bhai dooj, जिसे भैया दूज या यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है, दिवाली के त्योहार के बाद…