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Purnima Vrat date 2025 puja vidhi, niyam and samagri
Purnima Vrat date 2025 puja vidhi, niyam and samagri
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Purnima Vrat date 2025 puja vidhi, niyam and samagri 

Purnima Vrat date 2025 हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व होता है। यह दिन चंद्र देव की पूजा और उपवास के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। वर्ष 2025 में कुल 12 पूर्णिमा तिथियां होंगी, हर महीने एक बार। इन सभी तिथियों पर व्रत रखने से मानसिक शांति, पुण्य और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है। इस दिन भगवान विष्णु, शिव जी और चंद्रमा की पूजा का विशेष विधान होता है। सुबह जल्दी उठकर स्नान कर व्रत का संकल्प लिया जाता है। पूरे दिन फलाहार या निर्जल व्रत रखा जाता है और शाम को चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। यह व्रत महिलाओं, पुरुषों और वृद्धजनों के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है।

Purnima Vrat niyam 2025

पूर्णिमा व्रत के कुछ निश्चित नियम होते हैं, जिन्हें पालन करना आवश्यक होता है। व्रत रखने वाले व्यक्ति को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए। व्रत का संकल्प लेकर दिनभर सात्विक आहार लें या निर्जल व्रत करें। इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें और क्रोध, झूठ, चुगली से दूर रहें। व्रतधारी को दिनभर भगवान का ध्यान, जप, और पूजा करनी चाहिए। इस दिन तामसिक भोजन, प्याज-लहसुन और मांसाहार से पूरी तरह बचना चाहिए। शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत पूरा होता है। पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण करें और जरूरतमंदों को भोजन दें।

Purnima Vrat date 2025

  1. 13 जनवरी 2025 (सोमवार) – पौष पूर्णिमा व्रत, स्नान और दान
  2. 11 फरवरी 2025 (मंगलवार) – माघ पूर्णिमा व्रत
  3. 13 मार्च 2025 (बृहस्पतिवार) – फाल्गुन पूर्णिमा व्रत
  4. 12 अप्रैल 2025 (शनिवार) – चैत्र पूर्णिमा व्रत, स्नान और दान
  5. 12 मई 2025 (सोमवार) – वैशाख पूर्णिमा व्रत, स्नान और दान
  6. 10 जून 2025 (मंगलवार) – ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत
  7. 10 जुलाई 2025 (बृहस्पतिवार) – आषाढ़ पूर्णिमा व्रत, स्नान और दान
  8. 9 अगस्त 2025 (शनिवार) – श्रावण पूर्णिमा व्रत
  9. 7 सितंबर 2025 (रविवार) – भाद्रपद पूर्णिमा व्रत, स्नान और दान
  10. 6 अक्टूबर 2025 (सोमवार) – आश्विन पूर्णिमा व्रत
  11. 5 नवम्बर 2025 (बुधवार) – कार्तिक पूर्णिमा व्रत, स्नान और दान
  12. 4 दिसम्बर 2025 (बृहस्पतिवार) – मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत, स्नान और दान

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Purnima Vrat pujan vidhi 2025

पूजा विधि का आरंभ प्रातःकाल स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करके किया जाता है। पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध किया जाता है और फिर भगवान विष्णु या शिव की मूर्ति स्थापित की जाती है। पीले या सफेद कपड़े पर मूर्ति रखें। कलश स्थापना करें और आम के पत्ते लगाएं। फिर दीपक जलाएं और भगवान को चंदन, फूल, अक्षत, रोली, तुलसी, और पंचामृत अर्पित करें। विष्णु सहस्रनाम, विष्णु चालीसा या गायत्री मंत्र का जप करें। चंद्रमा को दूध और जल से अर्घ्य दें। अंत में आरती करें और प्रसाद वितरित करें। यह पूजा विधि पूर्ण फल प्रदान करती है।

Vrat samagri 

पूर्णिमा व्रत की पूजा में उपयोग होने वाली मुख्य सामग्री इस प्रकार है:
गंगाजल, कलश, आम के पत्ते, पुष्प, अक्षत (चावल), रोली, चंदन, तुलसी के पत्ते, दीपक, रुई, घी, धूपबत्ती, फल, मिठाई और पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी और शक्कर)। पूजा के लिए भगवान विष्णु या शिव की प्रतिमा और पीले वस्त्र भी आवश्यक हैं। ये सभी समाग्रियाँ पवित्रता और श्रद्धा के प्रतीक होती हैं। यदि ये सामग्री पूरी श्रद्धा से उपयोग की जाए तो पूजा में संपूर्ण फल प्राप्त होता है।

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Purnima Vrat upay 2025

पूर्णिमा व्रत के दिन किए गए कुछ उपाय विशेष लाभ देते हैं। इस दिन सफेद वस्त्र, चावल और मिठाई का दान करना शुभ होता है। तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाएं और विष्णु मंत्रों का जाप करें। गरीबों को भोजन कराएं और पक्षियों को दाना-पानी दें। शिवलिंग पर जल और बेलपत्र चढ़ाएं, चंद्रमा को अर्घ्य दें। रात को चंद्रमा की रोशनी में ध्यान लगाना मानसिक शांति देता है। घर में विष्णु स्तुति या भजन कीर्तन करने से सकारात्मक ऊर्जा आती है। यह उपाय जीवन की समस्याओं से मुक्ति दिलाते हैं और सौभाग्य में वृद्धि करते हैं।

निष्कर्ष

Purnima Vrat 2025 केवल धार्मिक परंपरा नहीं है, यह आत्मा की शुद्धि और मन की शांति का माध्यम है। पूरे वर्ष की 12 पूर्णिमा तिथियाँ जीवन को शुभ और सकारात्मक ऊर्जा से भर देती हैं। नियमपूर्वक पूजा और व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और मानसिक संतुलन बना रहता है। आप भी इस व्रत को अपनाएं और हर महीने आत्मिक उन्नति का अनुभव करें।

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