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::Kaal Bhairav Jayanti::
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::Kaal Bhairav Jayanti:: 

::काल भैरव ने क्यों काटा था ब्रह्माजी का सिर::

मार्गशीर्ष महीने के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि पर 7 सितंबर सोमवार को काल भैरव अष्टमी मनाई जाएगी। इस दिन सर्व सिद्धियों की प्राप्ती के लिए काल भैरव  का पूजन होगा। तंत्र के देवता भैरव से जुड़ी कई रोचक कथाएं है। इसमें एक कथा ऐसी भी है जिसमें काल भैरव ने सृष्टि के रचियता ब्रह्मा द्वारा शिव अपमान करने पर ब्रह्माजी का सिर काट दिया था।

Bhairav Puja Japa and Homa

इंदौर में काली मंदिर खजराना है  शिवपुराण में एक कथा आती है जिसमें बताया गया है कि एक बार ब्रह्मा और विष्णु स्वयं को भगवान शंकर की माया से प्रभावित होकर श्रेष्ठ मानने लगे थे। उनकी श्रेष्ठता के बारे में जब वेदों से पूछा गया तो उन्होंने शिव को सर्वश्रेष्ठ बताया। इस बात को ब्रह्मा व विष्णु ने मानने से इनकार कर दिया। ब्रह्माजी माया के वशीभूत होकर महादेव की निंदा करने लगे। यह सुनकर शिवजी बेहद क्रोधित हुए और ब्रह्मा जी से अपने अपमान का बदला लेने का मन बना लिया।

नाखून से काट दिया सिर

शिवजी ने अपने रौद्र रूप से काल भैरव (Kaal Bhairav) को जन्म दिया। काल भैरव ने भगवान के अपमान का बदला लेने के लिए ब्रह्माजी का सिर अपने नाखून से काट दिया। इसके चलते उन्हें ब्रह्म हत्या का पाप लग गया। इससे मुक्ति के लिए भगवान शिव के आदेश से वे धरती पर आए। हत्या के बाद ब्रह्मा का सिर उनके हाथ से चिपक गया था जब वह काशी पहुंचे तो यहां ब्रह्मा का सिर उनके हाथ से अलग हो गया और वे काशी में स्थापित हो गए।

काल भैरवको प्रशन्न करने के मंत्र

  • अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्, भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि!!
  • ॐ कालभैरवाय नम:। ॐ भयहरणं च भैरव:। ॐ ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं। ॐ भ्रं कालभैरवाय फट्।

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