एकादशी तिथि को बहुत ही शुभ तिथि माना जाता है। दरअसल यह तिथि भगवान विष्णु जी को प्रिय है। इसलिए इस दिन भगवान विष्णु जी की आराधना के लिए एकादशी व्रत रखा जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, प्रति माह में दो बार (शुक्ल और कृष्ण पक्ष) एकादशी तिथि आती है। इस प्रकार 12 महीने में 24 एकादशी तिथियां हुईं। यदि अधिक मास की दो एकादशी तिथियों को जोड़ लिया जाए तो 26 एकादशी तिथियां हुईं।
इस साल बन रहा है ये खास संयोग
एकादशी तिथियों को लेकर साल 2021 में खास संयोग बन रहा है। इस साल एक माह में तीन एकादशी तिथियां पड़ रही हैं। साल के ग्यारहवें माह यानी नवंबर में तीन एकादशी तिथि पड़ रही हैं। इस माह का आरंभ और अंत एकादशी तिथि के साथ हो रहा है। साल 2021 में 1 नवंबर को रमा एकादशी, 14 नवंबर को देवउठनी एकादशी और 30 नवंबर 2021 को उत्पन्ना एकादशी है। वहीं इस साल 24 एकादशी तिथि की बजाय 25 एकादशी तिथियां होंगी।
साल 2021 में एकादशी व्रत कब–कब पड़ेगा–
एकादशी | दिन व दिनांक |
सफला एकादशी | शनिवार, 09 जनवरी 2021 |
पौष पुत्रदा एकादशी | रविवार, 24 जनवरी 2021 |
षटतिला एकादशी | रविवार, 07 फरवरी 2021 |
जया एकादशी | मंगलवार, 23 फरवरी 2021 |
विजया एकादशी | मंगलवार, 09 मार्च 2021 |
आमलकी एकादशी | गुरुवार, 25 मार्च 2021 |
पापमोचिनी एकादशी | बुधवार, 07 अप्रैल 2021 |
कामदा एकादशी | शुक्रवार, 23 अप्रैल 2021 |
वरुथिनी एकादशी | शुक्रवार, 07 मई 2021 |
मोहिनी एकादशी | रविवार, 23 मई 2021 |
अपरा एकादशी | रविवार, 06 जून 2021 |
निर्जला एकादशी | सोमवार, 21 जून 2021 |
योगिनी एकादशी | सोमवार, 05 जुलाई 2021 |
देवशयनी एकादशी | मंगलवार, 20 जुलाई 2021 |
कामिका एकादशी | बुधवार, 04 अगस्त 2021 |
श्रावण पुत्रदा एकादशी | बुधवार, 18 अगस्त 2021 |
अजा एकादशी | शुक्रवार, 03 सितंबर 2021 |
परिवर्तिनी एकादशी | शुक्रवार, 17 सितंबर 2021 |
इन्दिरा एकादशी | शनिवार, 02 अक्टूबर 2021 |
पापांकुशा एकादशी | शनिवार, 16 अक्टूबर 2021 |
रमा एकादशी | सोमवार, 01 नवंबर 2021 |
देवोत्थान एकादशी | रविवार, 14 नवंबर 2021 |
उत्पन्ना एकादशी | मंगलवार, 30 नवंबर 2021 |
मोक्षदा एकादशी | मंगलवार, 14 दिसंबर 2021 |
सफला एकादशी | गुरुवार, 30 दिसंबर 2021 |
एकादशी होता है हरि का दिन
हिन्दू पौराणिक शास्त्रों में एकादशी तिथि को ‘हरि का दिन’ और ‘हरि वासर’ के नाम से भी जाना जाता है। हरि यानी जगत के पालनहार भगवान विष्णु का दिन। ऐसा कहा जाता है कि एकादशी व्रत हवन, यज्ञ, वैदिक कर्म-कांड आदि से भी अधिक फल देता है। इस व्रत को रखने की एक मान्यता यह भी है कि इससे पूर्वज या पितरों को स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
एकादशी व्रत नियम
- एकादशी के दिन सुबह उठकर व्रत का संकल्प कर शुद्ध जल से स्नान करना चाहिए।
- विधिनुसार भगवान श्रीकृष्ण का पूजन और रात को दीपदान करना चाहिए।
- एकादशी की रात भगवान विष्णु का भजन-कीर्तन करना चाहिए।
- व्रत की समाप्ति परश्री हरि विष्णु से अनजाने में हुई भूल या पाप के लिए क्षमा मांगनी चाहिए।
- अगली सुबह यानी द्वादशी तिथि पर पुनः भगवान श्रीकृष्ण की पूजा कर ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए।
- भोजन के बाद ब्राह्मण को क्षमता के अनुसार दान देकर विदा करना चाहिए।