लाल किताब के अनुसार केतु ग्रह भगवान गणेश जी का प्रतिनिधित्व करता है। यह एक छाया ग्रह है जिसका कोई भौतिक स्वरूप नहीं है। परंतु टेवा (जन्म कुंडली) में स्थित केतु ग्रह का 12 भावों में सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। हालाँकि वैदिक ज्योतिष के समान लाल किताब में भी केतु को पापी ग्रह बताया गया है।
किताब के अनुसार केतु ग्रह का महत्व-
*लाल किताब के अनुसार केतु ग्रह का 12 भावों में प्रभाव लाल किताब ज्योतिष की महत्वपूर्ण पुस्तकों में से एक है, जो ग्रहों से संबंधित आसान उपाय के लिए प्रसिद्ध है। लाल किताब में शुक्र और राहु को केतु ग्रह का साथी (मित्र) बताया गया है, जबकि चंद्रमा और मंगल केतु के दुश्मन है। वहीं गुरु भी केतु के लिए अनुकूल ग्रह है। यह केतु की दुर्बलता को दूर करता है। इसलिए कानों में सोने के आभूषण पहनने से केतु बलवान होकर संतान को पैदा करने की प्रदान करता है।
*लाल किताब के अनुसार केतु ग्रह कभी सीधी चाल नहीं चलता है। बल्कि यह उल्टी चाल (वक्री) चलता है। केतु कुंडली के द्वादश भाव (बारहवाँ खाना) का स्वामी होता है। यदि किसी की कुंडली में यह खाना सोया हुआ है तो इस खाने को सक्रिय करने के लिए केतु के उपाय करने चाहिए।
*लाल किताब ज्योतिष के संबंध में एक बहुत ही आसान पुस्तक है जिसके द्वारा कोई भी सामान्य व्यक्ति अपने चारों ओर की परिस्थितियों के अनुसार अपने टेवा के बारे में जान सकता है। वह अपने टेवा में स्थित ग्रहों से संंबंधित सरल टोटकों को आज़माकर उन्हें ख़ुद के अनुकूल बना सकता है। इसके नियम हिन्दू ज्योतिष के नियमों से अलग हैं।*
*लाल किताब के अनुसार केतु ग्रह के कारकत्व-*
*लाल किताब के अनुसार केतु व्यक्ति के चाल-चलन, चारपाई, कुत्ता, भिखारी, पुत्र, मामा, पोता, भांजा, भतीजा, कान, जोड़, पैर, सलाह देने वाला, चितकबरा, नींबू, रात-दिन का मेल, दूर की सोचने वाला आदि का प्रतिनिधित्व करता है।*
*लाल किताब के अनुसार केतु ग्रह का संबंध-*
*केतु ग्रह का संबंध समाज सेवा, धार्मिक एवं आध्यात्मिक कर्म से होता है। इसके अलावा सूअर, छिपकली, गधा, खरगोश, चूहा केतु के द्वारा ही दर्शाए जाते हैं। साथ ही काला कंबल, काले तिल, लहसुनिया पत्थर, इमली, प्याज, लहसुन आदि वस्तुएँ केतु ग्रह से संबंधित हैं।
*लाल किताब के अनुसार केतु ग्रह का प्रभाव-
*यदि किसी जातक की कुंडली में केतु ग्रह बलवान होता है तो जातक को इसके बहुत अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं। यह व्यक्ति को आध्यात्मिक क्षेत्र में सफलता दिलाता है तथा मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है। केतु ग्रह अपने मित्र ग्रहों के साथ बली होता है। जबकि इसके विपरीत यदि किसी जातक की कुंडली में केतु की स्थिति कमज़ोर होती है अथवा वह पीड़ित है तो जातक के लिए यह अच्छा नहीं माना जाता है। केतु अपने शत्रु ग्रहों के साथ कमज़ोर होता है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि व्यक्ति के जीवन में केतु का प्रभाव सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह से पड़ता है। आइए जानते हैं केतु के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव क्या हैं-
*सकारात्मक प्रभाव -जब केतु गुरु ग्रह के साथ युति बनाता है तो व्यक्ति की कुंडली में इसके प्रभाव से राजयोग का निर्माण होता है। शुभ केतु लोगों को चरित्रवान बनाता है। इससे व्यक्ति के मामा, पुत्र, एवं पोते के साथ संबंध मधुर बने रहते हैं। केतु बली हो तो व्यक्ति का आध्यात्मिक ज्ञान बढ़ता है।*
*नकारात्मक प्रभाव – लाल किताब के अनुसार पाँचवें भाव में जब शुक्र, शनि, राहु या केतु स्थित हों या इनमें से किसी की युति पाँचवें घर में हो तो जातक आत्म-ऋणि (स्वयं का ऋणि) माना जाता है। इस ऋण के कारण व्यक्ति का जीवन में संघर्षमय रहता है तथा वाद विवाद, कोर्ट केसों में पराजय का सामना करना पड़ता है। वह बार-बार बिना किसी कारण अपमान होता है और कभी-कभी राजकीय दंड भी प्राप्त होता है।
*केतु ग्रह के लिए लाल किताब के उपाय-
ज्योतिष में लाल किताब के उपाय को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। अतः लाल किताब में केतु ग्रह की शांति के टोटके जातकों के लिए बहुत ही लाभकारी और सरल होते हैं। अतः इन्हें कोई भी व्यक्ति आसानी से स्वयं कर सकता है। केतु ग्रह से संबंधित लाल किताब के उपाय करने से जातकों को केतु ग्रह के सकारात्मक फल प्राप्त होते हैं। केतु ग्रह से संबंधित लाल किताब के उपाय निम्नलिखित हैं-
- माथे पर केसर या हल्दी का तिलक लगाएँ।
- वृद्ध एवं लाचार व्यक्तियों की सहायता करें।
- कानों में सोने की बाली पहनें। दूध में केसर मिलाकर पीएँ पिता एवं पुरोहित का सम्मान करें कुत्ता पालना सहायक होगा लाल किताब के उपाय ज्योतिष विज्ञान के सिद्धांतों पर आधारित हैं।अतः ज्योतिष में इस पुस्तक को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है।उम्मीद है कि केतु ग्रह से संबंधित लाल किताब में दी गई यह जानकारी आपके कार्य को सिद्ध करने में सफल होगी।
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