Subscribe Now

* You will receive the latest news and updates on your favorite celebrities!

Trending News

Blog Post

जानिए महादेवने कैसे किया नारद की शंका का समाधान
जानिए महादेव ने कैसे किया नारद की शंका का समाधान
Religious

जानिए महादेवने कैसे किया नारद की शंका का समाधान 

 एक दिन नारद मुनि आकाश मार्ग से नारायण नारायण का जाप करते हुए जा रहे थे- तभी उनके मष्तिक में एक अजीब सा प्रश्न आया- तथा वे ब्रह्म लोक पहुंचे।

ब्रह्म लोक पहुंचकर उन्होंने अपने पूज्य पिता- ब्रह्मा जी को दण्डवत प्रणाम किया। नारद को समाने देख ब्रह्मा जी ने पूछा- कहो पुत्र ! आज कैसे आना हुआ ? तुम्हारे मुख के भाव कुछ कह रहे है ! कोई विशेष प्रयोजन अथवा कोई समस्या ?

 नारद जी ने उत्तर देते हुए कहा:, “पिता श्री!  ऐसा कोई विशेष प्रयोजन तो नहीं है- परन्तु एक प्रश्न मन में खटक रहा है. आपसे इसका उत्तर जानने के लिए उपस्थित हुआ हूँ ”

“तो फिर विलम्ब कैसा ? मन की शंकाओं का समाधान शीघ्रता से कर लेना ही ठीक रहता है!  इसलिए निः संकोच  अपना “प्रश्न पूछो!”

“पिताश्री आप सारे सृष्टि के परमपिता है, देवता और दानव आप की ही संतान हैं.भक्ति और ज्ञान में देवता श्रेष्ठ हैं तो शक्ति तथा तपाचरण में दानव श्रेष्ठ हैं! परन्तु मैं इसी प्रश्न में उलझा हुआ हूँ कि इन दोनों में कौन अधिक श्रेष्ठ है। और आपने देवों को स्वर्ग और दानवों को पाताल लोक में जगह दी ऐसा क्यों ?

 इन्हीं प्रश्नों का उत्तर जानने के लिए मैं आपकी शरण में आया हूँ” – नारद ने ब्रम्हाजी से अपना प्रश्न बताते हुए कहा।

 नारद का प्रश्न सुन ब्रम्हाजी बोले, नारद इस प्रश्न का उत्तर देना तो कठिन है- और इसका उत्तर मैं नहीं दे पाऊँगा! क्योंकि देव और दानव दोनों ही मेरे पुत्र हैं- एवं अपने ही दो पुत्रों की तुलना अपने ही मुख से करना उचित नहीं होगा!

 लेकिन फिर भी तुम्हारे प्रश्न का उत्तर ढूंढने में भगवान शिव तुम्हारी मदद अवश्य कर सकते है।

 ब्रह्मदेव से आज्ञा लेकर नारद मुनि महादेव शिव के पास गए- तथा उनके सामने अपनी समस्या रखी. महादेव शिव नारद मुनि को देख मुस्कराए तथा उन्हें आदेश दिया- की तुम देव और दानवों के लिए एक भोज का आयोजन करो- तथा इस भोज के लिए उन्हें निमंत्रण भेजो।

 महादेव शिव के आदेशानुसार नारद मुनि ने वैसा ही किया- तथा अगले दिन नारद मुनि के साथ महादेव शिव भी देवताओ और दानवो का अतिथि सत्कार करने उनके आश्रम में पधारे।

 दानव नारद मुनि के आश्रम में भोजन का आनंद लेने के लिए पहले पहुँच गए- और उन्होंने पहले पहुँचने के कारण भोजन की पहली शुरूआत खुद से करने के लिए भगवान शिव से आग्रह किया।

  भोजन की थालियाँ परोसी गई, दानव भोजन करने के लिए बैठे, वे भोजन शुरू करने ही वाले थे- कि भगवान शिव अपने हाथ में कुछ लकड़ियाँ लेकर उनके समक्ष उपस्थित हुए- और उन्होंने कहा, “आज के भोजन की एक छोटी-सी शर्त है- मैं यहाँ उपस्थित हर एक अतिथि के दोनों हाथों में इस प्रकार से लकड़ी बांधूंगा कि वो कोहनी से मुड़ नहीं पाए- और इसी स्थिति में सभी को भोजन करना होगा।

 कुछ ही देर में सभी असुरों के हाथों में लकड़ियाँ बंध चुकीं थी  अब असुरों ने खाना शुरू किया, पर ऐसी स्थिति में कोई कैसे खा सकता था। कोई असुर सीधे थाली में मुँह डालकर खाने का प्रयास करने लगा- तो कोई भोजन को हवा में उछालकर मुँह में डालने का प्रयत्न करने लगा। दानवों की ऐसी स्थिति देखकर- नारद जी भी अपनी हंसी नहीं रोक पाए!

        अपने सारे प्रयास विफल होते देख दानव बिना खाए ही उठ गए! और क्रोधित होते हुए बोले, “हमारी यही दशा  करनी थी ” तो हमें भोजन पर बुलाया ही क्यों….?

       कुछ देर पश्चात् देव भी यहाँ पहुँचने वाले हैं- ऐसी ही लकड़ियाँ आप उनके हाथों में भी बांधियेगा- ताकि हम भी उनकी दुर्दशा का आनदं ले सकें….! ”

           कुछ देर पश्चात् देव भी वहाँ पहुँच गए! और अब देव भोजन के लिए बैठे, देवों के भोजन मंत्र पढ़ते ही- महादेव शिव ने सभी के हाथों में लकड़ियाँ बाँधी- और भोजन की शर्त भी रखी।

         हाथों में लकड़ियाँ बंधने पर भी- देव शांत रहे, वे समझ चुके थे- कि खुद अपने हाथ से भोजन करना संभव नहीं   है! अतः वे थोड़ा आगे खिसक कर आमने-सामने बैठ गए! और थाली से अन्न उठाकर- सामने वाले को खिलाकर भोजन आरम्भ किया।

    बड़े ही स्नेह के साथ वे एक दूसरे को खिला रहे थे,और भोजन का आनंद ले रहे थे,उन्होंने भोजन का भरपूर स्वाद लिया साथ ही एक दूसरों के प्रति अपना स्नेह,और सम्मान प्रकट किया।

 यह कल्पना हमे क्यों नहीं सूझी इसी विचार के साथ दानव बहुत दु:खी होने लगे।  नारद जी यह देखकर मुस्कुरा रहे थे।

 नारद जी ने भगवान शिव से कहा, “हे देवो के देव! आपकी लीला अगाध है। युक्ति,शक्ति और सामर्थ्य का उपयोग स्वार्थ हेतु करने की अपेक्षा- परमार्थ के लिए करने वाले का जीवन ही श्रेष्ठ होता है।

  दूसरों की भलाई में ही- अपनी भलाई है! यह आपने सप्रमाण दिखा दिया! और मुझे अपने प्रश्नों का उत्तर भी मिल गया है।

Related posts

Leave a Reply

Required fields are marked *