श्रीमद्भगवद्गीता की प्रमुख शिक्षाएँ इस प्रकार हैं—
1. गुस्सेपरकाबूकरना– क्रोध से भ्रम पैदा होता है। भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है। जब बुद्धि व्यग्र होती है तब तर्क नष्ट हो जाता है और जब तर्क नष्ट होता है तब व्यक्ति का पतन हो जाता है।
2. देखनेकानजरिया – जो ज्ञानी व्यक्ति ज्ञान और कर्म को एक रूप में देखता है, उसी का नजरिया सही है।
3. मनपरनियंत्रण – जो मन को नियंत्रित नहीं करते उनके लिए वह शत्रु के समान कार्य करता है।
4. खुदकाआकलन – आत्म–ज्ञान की तलवार से काटकर अपने ह्रदय से अज्ञान के संदेह को अलग कर दो। अनुशासित रहो, उठो।
5. खुदकानिर्माण – मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है। जैसा वो विश्वास करता है वैसा वो बन जाता है।
6. हरकामकाफलमिलताहै – इस जीवन में ना कुछ खोता है ना व्यर्थ होता है।
7. अभ्यासजरूरीहै – मन अशांत है और उसे नियंत्रित करना कठिन है, लेकिन अभ्यास और वैराग्य से इसे वश में किया जा सकता है।
8. विश्वासकेसाथविचार – व्यक्ति जो चाहे बन सकता है, यदि वह विश्वास के साथ इच्छित वस्तु पर लगातार चिंतन करे।
9. तनावदूरकरें – अप्राकृतिक कर्म बहुत तनाव पैदा करता है।
10. अपनाकामपहलेकरें – किसी और का काम पूर्णता से करने से कहीं अच्छा है कि अपना काम करें, भले ही उसे अपूर्णता से करना पड़े।
11. इसतरहकरेंकाम – जो कार्य में निष्क्रियता और निष्क्रियता में कार्य देखता है वह एक बुद्धिमान व्यक्ति है।
12. काममेंढूंढेंखुशी – जब वे अपने कार्य में आनंद खोज लेते हैं तब वे पूर्णता प्राप्त करते हैं।