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क्या आपकी कुंडली में है ग्रहण योग ?

By pavan

May 08, 2021

वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली में ग्रह, नक्षत्रों और भावों की स्थिति के अनुरूप ही योग और दोष बनते हैं। यदि किसी जातक की कुंडली में ग्रह और नक्षत्रों की चाल अच्छी नहीं है तो उसके जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। उसे जीवनभर कड़ी मेहनत करनी पड़ती है और मनचाहा परिणाम के लिए इंतजार भी करना पड़ता है। ऐसा ही एक योग है ग्रहण योग, जिसे ज्योतिष में अशुभ योग कहते हैं। इस योग के निर्माण से जातक को जीवन में असफलता मिलती है और आर्थिक तंगी बनी रहती है। यदि किसी योग्य ज्योतिषाचार्य से सलाह लेकर इसके निवारण को जान लिया जाए तो आपकी परेशानियां कम हो सकती हैं।

कुंडली में ग्रहण योग निर्माण

ग्रहण शब्द संस्कृत से लिया गया है। वैदिक ज्योतिष में राहु और केतु को सूर्य या चंद्रमा पर ग्रहण लगाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। सूर्य को इच्छा शक्ति का कारक और चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है। जब किसी कुंडली के 12 भावों में किसी भी भाव में सूर्य या चंद्रमा के साथ राहु या केतु में से कोई भी विराजमान हो तो ग्रहण योग बनता है। खास बात यह है कि जिस भाव में यह योग बनता है उस भाव से संबंधित परिणामों में अशुभ प्रभाव डालता है।

ग्रहण योग के प्रभाव

शुभ फल भी देता है यह योग

कभी कभार किसी जातक की कुंडली में शुभ केतु और शुभ सूर्य की युति होने से जातक को शुभ फल भी प्राप्त हो जाता है। जातक को कार्यक्षेत्र में ग्रोथ, इंक्रीमेंट और प्रमोशन मिल सकता है एवं जातक को पुत्ररत्न की प्राप्ति हो सकती है। इसी प्रकार कुंडली में शुभ राहु के साथ चंद्रमा की युति शक्ति योग बना देता है। इस योग से जातक को ऐश्वर्य, सुख सुविधा, करियर में उन्नति, व्यापार में विस्तार तथा प्रभुत्व वाला कोई पद आदि की प्राप्ति हो सकती है।