दिवाली का त्योहार जीवन में सुख-समृद्धि लेकर आता है। कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को दिवाली का त्योहार मनाते हैं। इस वर्ष 14 नवंबर यानी आज दिवाली मनेगी और घरों-घर लक्ष्मी पूजन होगा। माना जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी अपने भक्तों के घर पधारती हैं, इसलिए इस दिन मां लक्ष्मी और बुद्धि के देवता गणपति एवं ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा विधि-विधान के साथ की जाती है।
दिवाली की रात सर्वार्थ सिद्धि की रात मानी जाती है। इस दिन की गई पूजा और अनुष्ठान बहुत शुभता प्रदान करते हैं। दिवाली के दिन पूजा शुभ मुहूर्त और विधिवत रूप से ही करनी चाहिए।
खास बात यह है कि दिवाली पर लक्ष्मी पूजन सभी को करना है लेकिन कोरोना काल की वजह से यदि आपके घर पूजा अनुष्ठान के लिए पंडित जी नहीं आ पा रहे हैं तो आप यहां जान सकते हैं कि कैसे आप पूजा सामग्री घर पर एकत्रित कर मां लक्ष्मी की पूजा विधि-विधान से कर सकते हैं। आइए जानते हैं दिवाली की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और पूजा सामग्री की लिस्ट।
दिवाली पूजा के शुभ मुहूर्त-
प्रदोष काल पूजा मुहूर्त- शाम को 5 बजकर 30 मिनट से लेकर शाम के 7 बजकर 07 मिनट तक
निशीथ काल पूजा मुहूर्त- रात्रि 08 बजे से रात 10.50 बजे तक होगा।
अमृत मुहूर्त- 10 बजकर 30 मिनट पर, इसमें कनक धारा स्तोत्र का पाठ,श्री सूक्त का पाठ आदि कर सकते हैं।
महानिशीथ काल मुहूर्त- 08 बजकर अर्ध रात्रि के पश्चात 1 बजकर 33 मिनट तक रहेगा।
महानिशीथ काल मुहूर्त में ज्यादातर तंत्र साधना की जाती है।
दिवाली पूजन सामग्री
मां लक्ष्मी की कमल पर बैठी और मुस्कुराती हुई प्रतिमा।
गणेश जी की तस्वीर या प्रतिमा जिसमें उनकी सूंड बांयी ओर होनी चाहिए साथ में सरस्वती जी की प्रतिमा
कमल व गुलाब के फूल क्योंकि यह मां लक्ष्मी को प्रिय हैं।
पान के डंडी वाले पत्ते जो कहीं से भी कटे-फटे न हो,
रोली, सिंदूर और केसर,
अक्षत यानि साबुत चावल जो बिलकुल भी खंडित न हो,
पूजा की सुपारी,
फल, फूल मिष्ठान
दूध, दही, शहद
इत्र और गंगाजल
कच्चे सूत वाला कलावा
धान का लावा(खील) बताशे,
लक्ष्मी जी के समक्ष जलाने के लिए पीतल का दीपक और मिट्टी की दिए,
तेल, शुद्ध घी और रुई की बत्तियां
तांबे या पीतल का कलश, एक पानी वाला नारियल
चांदी के लक्ष्मी गणेश स्वरुप के सिक्के
साफ आटा, लाल या पीले रंग का कपड़ा आसन के लिए।
मंदिर लगाने के लिए चौकी और पूजा के लिए थाली
संकल्प करने के पश्चात दायें हाथ में अक्षत, फूल, जल और एक रुपए का सिक्का लेकर संकल्प करें कि मैं (…नाम…) व्यक्ति स्थान व समय पर मां लक्ष्मी, गणेश और सरस्वती जी की पूजा करने जा रहा/रही हूं, जिससे मुझे शास्त्रोक्त फल प्राप्त हो। उसके बाद पूजा आरंभ कर दें। लक्ष्मी जी के निकट ही चावलों की ढेरी पर कलश में जल भरकर स्थापित करें। कलश पर घी और सिंदूर मिलाकर स्वास्तिक का चिह्न बनाएं।
कलश के मुख पर कलावा बांध दें। आम के पत्ते लगाकर उसके ऊपर नारियल रखें। थाली में शुद्ध घी का दीपक प्रज्वलित करें। सभी देवों का तिलक कर प्रणाम करें। पंच मेवा, फल, मिष्ठान, खील और बताशे आदि चीजें अर्पित करें। सरसों के तेल का एक बड़ा सा दीपक जलाकर अपने कुल देवी-देवताओं के लिए रखें।
गहनों और पैसो के स्थान की पूजा करें। मां लक्ष्मी गणेश और सरस्वती जी की आरती करें भोग लगाएं। उसके बाद पूरे घर के हर एक कोने को दीपक जलाकर रोशन करें। हो सके तो कनक धारा स्तोत्र, श्री सूक्त और लक्ष्मी सूक्त का पाठ भी कर सकते हैं।