हिंदू सनातन धर्म में कार्तिक माह का विशेष महत्व माना गया है। इस माह में व्रत और तप करने का महत्व धर्म शास्त्रों में भी बताया गया है। जिसके अनुसार इस माह में जो मनुष्य संयम के साथ नियमों का पालन करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। कार्तिक मास में सात नियमों का पालन करना आवश्यक बताया गया है इन नियमों का पालन करने से मनुष्य को समस्त सुखों की प्राप्ति होती है। यह माह भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को अत्यंत प्रिय है। जानते हैं कार्तिक मास के नियम…
कार्तिक मास में दीपदान का महत्व धर्म शास्त्रों में भी बताया गया है। पुराणों के अनुसार इस माह दीपदान करने के माहतम्य के बारे में स्वयं भगवान विष्णु ने ब्रह्मा जी को उन्होंने नारद जी को और नारद मुनि ने महाराज पृथु को बताया है। इसलिए इस माह में किसी नदी या पोखर में दीपदान अवश्य करें।
हिंदू सनातन धर्म में तुलसी पूजा का बहुत महत्व बताया गया है कार्तिक माह में तुलसी पूजन का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है क्योंकि यह भगवान विष्ण को प्रिय हैं। इसलिए कार्तिक माह में नियमित रुप से तुलसी का पूजन करना चाहिए। इस माह में तुलसी दान करने का भी बहुत महत्व होता है।
कार्तिक माह में भूमि पर शयन करने के नियम मुख्य माना गया है। भूमि पर शयन करने के मन में सात्विकता बनी रहती है। इसलिए इस माह भूमि पर ही शयन करना चाहिए।
कार्तिक माह में शरीर पर तेल लगाना वर्जित माना जाता है। कार्तिक माह में केवल नरक चतुर्दशी के दिन ही तेल लगा सकते हैं। इसलिए इस माह में शरीर पर तेल न लगाएं।
कार्तिक मास में दलहन यानि दालों का सेवन निषेध माना गया है। इस माह में उड़द, मूंग, मसूर, मटर और राई आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
कार्तिक मास व्रत और तप करने का माह माना गया है, इसलिए इस माह में ब्रह्मचार्य का पालन अवश्य करना चाहिए। मान्यता है कि ब्रह्मचार्य का पालन न करने पर अशुभ फल की प्राप्ति हो सकती है।
यह माह तन और मन दोनों से संयम रखने का होता है। इसलिए इस माह में अपने मन को ईश्वर की भक्ति में लगाएं। किसी की निंदा न करें अपशब्द न कहें। मन पर नियंत्रण रखें, कम बोलें।