दरिद्र योग दुनियाभर के हर किसी चौथे व्यक्ति की कुंडली में होता है। इस वजह से ही लोग निर्धन, अपराधी, चोर, ठग, जेबकतरे और धोखा देने वाले बन जाते हैं। वहीं ज्योतिषशास्त्र के अनुसार यदि किसी जातक का जन्म इस योग में होता है तो ऐसे लोग अवैध और अनैतिक कार्यों के माध्यम से धन कमाते हैं। ये लोग व्यसनी, कटुभाषी और धूर्त प्रवृत्ति के होते हैं। ये दूसरे का काम बिगाड़ने में जरा संकोच नहीं करते हैं। दरिद्र योग का निर्माण तब भी होता है जब शुभ ग्रह किसी अशुभ ग्रह के संपर्क में आ जाते हैं। इसलिए जब भी आप विवाह के लिए कुंडली मिलान करें तो कुंडली में दरिद्र योग जरूर देख लें ताकि विवाह के बाद दंपत्ति को इस योग की वजह से कलह और अशांति का सामना न करना पड़े।
कब–कब बनता है दरिद्र योग
- यदि किसी जन्मपत्रिका में 11 वें घर का स्वामी ग्रह कुंडली के 6ठें, 8वें और 12वें घर में स्थित हो जाता है तो दरिद्र योग बनता है ।
- जब किसी जातक की कुंडली मेंलग्नेश कमजोर, धनेश नीच या केंद्र में पाप ग्रह( सूर्य, मंगल, शनि, राहु, केतु) हो तो व्यक्ति निर्धन होता है।
- यदि किसी की जन्मपत्रिका में अष्टमेश से नवमेश ज्यादा बलवान होता है तो जातक को धन कमाने में रुचि कम होती है।
- यदि कुंडली में गुरु लग्नेश होकर केंद्र में न हो और धनेश निर्बल या नीच का हो तो जातक को आर्थिक संकट से जूझना पड़ता है।
- यदि जन्मपत्रिका में वित्तभाव का स्वामी किसी त्रिकभाव में हो या किसी पापग्रह से प्रभावित हो तो जातक को हमेशा धनी की कमी बनी रहती है।
- यदि कुंडली में शुक्र, गुरु, चंद्रमा और मंगल क्रम से पहले दसवें, नवें, सातवें या पंचम भाव में नीच का हो तो व्यक्ति निर्धन होता है।
- यदि गुरु छठे भाव या 12वें भाव में स्थित हो लेकिन स्वराशि में न हो तो व्यक्ति गरीब होता है।
- यदि कुंडली में शुक्र, गुरु, चंद्रमा और मंगल क्रम से पहले दसवें, नवें, सातवें या पंचम भाव में नीच का हो तो व्यक्ति निर्धन होता है।
- यदि किसी कन्या की कुंडली में सूर्य और चंद्रमा दोनों कुंभ राशि में विराजित हो और बाकी ग्रह निर्बल हो तो शादी के बाद धन संबंधी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
- यदि शुभ ग्रह केंद्र में स्थित हो और नीचग्रह धनभाव में स्थित हो तो दरिद्र योग बनता है।
- यदि चंद्रमा से चौथे स्थान पर सूर्य, मंगल, शनि, राहु, केतु हो तो जातक निर्धन बना रहता है।