Amla Navami Pujan Vidhi

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आंवला नवमी – पौराणिक महत्व और पूजा विधि

By pavan

November 23, 2020

आंवला नवमी 23 नवंबर सोमवार को है। हर साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन मुख्य रूप से आंवले के वृक्ष का पूजन किया जाता है। यह प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का पर्व है। इस दिन आंवले के पेड़ का पूजन कर परिवार के लिए आरोग्यता और सुख-सौभाग्य की कामना की जाती है। मान्यता के अनुसार, इस दिन किया गया तप, जप, दान इत्यादि व्यक्ति को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्त करता है।

आंवला नवमी के दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा जरूर करनी चाहिए। इस दिन आंवला के पेड़ पर देवताओं का वास होता है। इसके साथ ही इस दिन आंवले का पेड़ जरूर लगाना चाहिए। ऐसा करने से मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु जी की कृपा आपके ऊपर बनी रहेगी।

आंवला वृक्ष का पौराणिक महत्व स्कन्द पुराण के अनुसार पूर्वकाल में जब समस्त संसार समुद्र में डूब गया था तो जगतपिता ब्रह्मा जी के मन में श्रृष्टि पुनः उत्पन्न करने का विचार आया। वे एकाग्रचित होकर परम कल्याणकारी ‘ॐ नमो नारायणाय’ मंत्र का उपांशु जप करने लगे। वर्षों बाद जब भगवान विष्णु उन्हें दर्शन-वरदान देने हेतु प्रकट हुए और इस कठिन तपस्या का कारण पूछा, तो ब्रह्मा जी ने कहाकि हे ! जगतगुरु मैं पुनः मैथुनी सृष्टि आरम्भ करना चाहता हूँ आप मेरी सहायता करें। ब्रह्मा जी के करुणाभरी वाणी से प्रसन्न होकर श्रीविष्णु जी कहा कि ब्रह्मदेव आप चिंता न करें मेरे ही संकेत से आपके ह्रदय में सृष्टि सृजन की लहरें उठ रही हैं। श्री विष्णु जी के दिव्यदर्शन एवं आश्वासन से ब्रह्मा जी भावविभोर हो उठे। उनकी आँखों से भक्ति-प्रेम वश आंसू बहकर नारायण के चरणों पर गिर पड़े, जो तत्काल वृक्ष के रूप में परिणित हो गए।

ब्रह्माजी के आंसू और विष्णु जी के चरण के स्पर्श मात्र से वह वृक्ष अमृतमय हो गया। विष्णु जी उसे धात्री (जन्म के बाद पालन करने वाली दूसरी मां) नाम से अलंकृत किया। सृष्टि सृजन के क्रम में सर्वप्रथम इसी ‘धात्रीवृक्ष’ की उत्पत्ति हुई। सभी वृक्षों में प्रथम उत्पन्न होने के कारण ही इसे आदिरोह भी कहा गया है। विष्णु जी ने वरदान दिया की मैथुनी सृष्टि सृजन के पवित्र संकल्प को पूर्ण करने में यह धात्री वृक्ष आपकी मदद करेगा। जो जीवात्मा इसके फल का नियमित सेवन करेगा वह त्रिदोषों वात, पित्त एवं कफ जनित रोंगों से मुक्त रहेगा। इस दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष नवमी को जो भी प्राणी आँवले के वृक्ष का पूजन करेगा उसे विष्णु लोक प्राप्त होगा। तभी से इस तिथि को धात्री अथवा आंवला नवमी के रूप में मनाया जाता है।

आंवला नवमी पूजा विधि Amla Navami 2020 Pujan Vidhi इस दिन स्नान, पूजन, तर्पण तथा अन्नादि के दान से अक्षय अनंत गुणा फल मिलता है। पद्म पुराण में भगवान शिव ने कार्तिकेय से कहा है कि आंवला वृक्ष साक्षात विष्णु का ही स्वरूप है। यह विष्णु प्रिय है और इसके स्मरण मात्र से गोदान के बराबर फल मिलता है। इसे स्पर्श करने पर दोगुना तथा फल सेवन पर तीन गुणा फल प्राप्त होता है। यह सदा ही सेवन योग्य है किन्तु रविवार, शुक्रवार, संक्रांति, प्रतिपदा, षष्टी, नवमी और अमावस्या को आंवले का सेवन नहीं करना चाहिए। जो प्राणी इस वृक्ष का रोपण करता है उसे उत्तम लोक की प्राप्ति होती है। इस दिन इस वृक्ष की छाया में भोजन-पकवान बनाएं। ब्राह्मण भोजन कराएं उन्हें सुयोग्य दक्षिणा देकर विदा करें और स्वयं भी भोजन करें।